Rasoli kya hoti hai? बच्चेदानी में रसोली/गांठ के क्या कारण हो सकते हैं?

गर्भाशय में रसोली/गांठ के क्या कारण और उसका उपचार, causes of Cyst/fibroids in uterus and its treatment

रसोली क्या होती है (Rasoli Meaning in Hindi)

रसोली/गांठ (Cyst) बच्चेदानी की मांसपेशियों में होने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है। यूट्रस की मांसपेशियों में अगर एक या एक से ज्यादा गांठ बन जाती है तो रसोली की समस्या पैदा होती है।

इस परेशानी को मायोमा और लेयोमायोमा के नाम से भी जाना जाता है। यह आकार में अनार के दानों जितने होते हैं। समय के साथ साथ इनका आकार बढ़ता है जिसके साथ शरीर में दर्द भी बढ़ता जाता है।

इसकी वजह से पेट में काफी दर्द और पीरियड में असामान्य ब्लीडिंग होती है।

कभी कभी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, जिसकी वजह से इस समस्या की जानकारी काफी देर में होती है। ऐसी स्थिति में दिक्कत और ज्यादा बढ़ जाती है।

आमतौर पर रसोली ज्यादा उम्र की औरतों में देखने को मिलती है लेकिन आजकल यह समस्या टीनएजर्स में भी पाई जाती है।

रसोली के होने की मुख्य वजह एस्ट्रोजन हार्मोन को माना जाता है। एस्ट्रोजन के शरीर में कम होते ही रसोली भी सिकुड़ने लगती है।

यूट्रस में अगर एक बार रसोली हो जाए तो यह मेनोपॉज के बाद भी शरीर में रहती है। जिन महिलाओं को मोटापा ज्यादा होता है उनके शरीर में रसोली होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।

गर्भाशय में रसोली की समस्या होने के कारण (Causes of Fibroids in the uterous)

अब तक गर्भाशय में रसोली के होने का सही कारण का पता नहीं लग पाया है। लेकिन नीचे हम कुछ ऐसे कारणों के बारे में पढ़ने जा रहे हैं जो आमतौर पर रसोली के मुख्य कारण माने जाते हैं।

हार्मोनल (Hormonal)

एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की वजह से भी रसोली की दिक्कत हो सकती है। रसोली एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को अब्सॉर्ब करती हैं जिसकी वजह से इनका आकार पहले की तुलना में ज्यादा हो जाता है।

मेनोपॉज के पश्चात शरीर में यह दोनों हार्मोन कम मात्रा में ही बनते हैं। उस वक्त रसोली के आकार में भी काफी कमी आती है और यह खत्म हो सकती हैं।

मेनोपॉज के बाद यूट्रस का आकार भी सामान्य हो जाता है जिसकी वजह से रसोली भी सामान्य हो जाती हैं।

आनुवांशिकी (Genetics)

रसोली की परेशानी आनुवांशिक है यानी कि अगर यह समस्या पहले घर में किसी महिला को हो रखी है तो इसकी संभावना काफी ज्यादा है कि यह उसके ब्लड रिलेटिव को भी हो जाए।

अन्य कारण (Other Reason)

कम उम्र में पीरियड होना, गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल, शरीर में विटामिन डी की मात्रा में कमी, वजन में कमी, मांस और शराब का अत्यधिक सेवन करने से भी शरीर में रसोली बन सकती है।

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गर्भाशय में रसोली का इलाज (Treatment of Fibroids in Uterus)

गर्भाशय में रसौली का इलाज व्यक्ति की स्थिति, रसौली की चरित्रिक, और उसके लक्षणों पर निर्भर करता है। इसके लिए व्यक्ति को एक विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह लेना चाहिए जो सही निगरानी और उपयुक्त उपचार की सिफारिश कर सकता है। यहां कुछ सामान्य इलाज़ की दिशा में जानकारी है:

नियमित चेकअप:

फाइब्रोएड्स के उपचार का पहला कदम नियमित चेकअप होता है। चिकित्सक आपके लक्षणों और स्थिति का मूल्यांकन करके उचित उपचार का सुझाव देंगे।

दवाएं:

छोटी और बेनाइग्न रसौलियों के लिए, डॉक्टर दवाओं की सलाह दे सकता है जो उनकी वृद्धि को नियंत्रित करने में मदद कर सकती हैं।

सर्जरी:

बड़ी रसौलियों के लिए सामान्यत: सर्जिकल प्रक्रिया की जा सकती है, जिसमें डॉक्टर रसौली को हटा देता है। यह विभिन्न प्रकार की सर्जिकल प्रक्रियाओं में शामिल हो सकता है, जैसे कि हिस्टेरेक्टोमी, लेपरोटॉमी, या मिनीमल इन्वेसिव सर्जरी।

  • मिनीमल इनवेसिव सर्जरी: यह एक उन्नत तकनीक है जिसमें चिकित्सक रोबोटिक सिस्टम का उपयोग करके सर्जरी करते हैं। इससे छोटे इंसीजन किए जा सकते हैं और गर्भाशय में रसौली को हटाया जा सकता है।
  • हिस्टेरेक्टोमी (Hysterectomy):
    • पूरी हिस्टेरेक्टोमी: इसमें गर्भाशय को पूरी तरह से निकाल दिया जाता है। यह प्रक्रिया गर्भाशय के ऊपरी भाग, निचली भाग, और संयोजन में हो सकती है। इस प्रक्रिया के बाद महिला गर्भधारण करने की क्षमता खो देती है।
    • पार्श्वीय हिस्टेरेक्टोमी: इसमें गर्भाशय का केवल एक भाग हटाया जाता है, जिससे गर्भाशय का बाकी हिस्सा बरकरार रहता है। यह प्रक्रिया अधिकांशत: बड़ी रसौलियों के लिए की जाती है।
  • हिस्टेरेस्कोपी और लेपरोस्कोपी: यदि रसौली का आकार बड़ा है और दवाओं से नियंत्रित नहीं हो सकता, तो डॉक्टर हिस्टेरेस्कोपी या लेपरोस्कोपी की सलाह दे सकता है। इसमें चिकित्सक गर्भाशय की अंदरूनी स्थिति को देखने के लिए एक छोटे से इंसीजन के माध्यम से इंस्ट्रुमेंट्स को डालता है और रसौली को निकाल सकता है।
  • उत्तेजन चिकित्सा (Uterine Artery Embolization): इसमें रसौली को सीधे रसौली की रक्तप्रवाह की स्त्रावन प्रणाली में बंद करने के लिए रसौली की आर्टरी में एक तंतु डाला जाता है। इससे रसौली की वृद्धि में कमी हो सकती

अशुद्धि विवादक दवाएं:

कई महिलाएं अशुद्धि विवादक दवाओं का सेवन करती हैं जो फाइब्रोएड्स के साथ जुड़े हो सकते हैं। इसके लिए डॉक्टर से सलाह लेना अच्छा होता है।

हार्मोनल उपचार:

जब रसौली का कारण हॉर्मोनल असंतुलन है, तो हार्मोनल उपचार सलाह दिया जा सकता है। इससे रसौली की वृद्धि को नियंत्रित किया जा सकता है।

रेडियोथेरेपी:

कुछ स्थितियों में, जैसे कि गर्भाशय कैंसर के संदर्भ में, रेडियोथेरेपी भी सलाह दी जा सकती है जो रसौली को कम करने में मदद कर सकती है।

आहार और व्यायाम:

स्वस्थ आहार और नियमित व्यायाम भी फाइब्रोएड्स के साथ संबंधित समस्याओं को कम करने में मदद कर सकते हैं।

गर्भाशय में रसौली का इलाज व्यक्ति की व्यक्तिगत स्थिति पर निर्भर करता है, और उपचार की सिफारिश के लिए विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

अगर आप भी गर्भाशय में रसोली से पीड़ित हैं एवं उसका उपचार करवाना चाहते हैं तो क्रिस्टा आईवीएफ आपके लिए एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है। इस फर्टिलिटी हेल्थ सेंटर में 50 से अधिक मेडिकल प्रोफेशनल है जिनमें से अधिकतर को 15 साल से भी ज्यादा का अनुभव है। यह सेंटर 7 से अधिक शहरों में अपनी सर्विस प्रदान करता है।

Edited on 01-02-24

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Ritish Sharma

Ritish Sharma is a professional healthcare writer who has a good understanding of medical research and trends. He has expertise in clearly communicating complex medical information in an easy-to-understand manner. His writing helps people make informed decisions about their health and take control of their well-being.