स्पर्म और सीमन का असली अंतर – क्या आप जानते हैं?

Sperm और Semen के बीच क्या अंतर है? (Difference Between Sperm and Semen)
प्रजनन प्रक्रिया के दौरान पुरुष और महिला दोनों के शरीर में कई जैविक घटनाएँ घटती हैं। इन घटनाओं के बीच शुक्राणु और वीर्य दो महत्वपूर्ण तत्व होते हैं, जिनका प्रजनन क्षमता से गहरा संबंध है। हालांकि, बहुत से लोग इन दोनों शब्दों को एक ही अर्थ में प्रयोग करते हैं, लेकिन इन दोनों में स्पष्ट अंतर है। शुक्राणु और वीर्य दोनों का काम प्रजनन के उद्देश्यों को पूरा करना होता है, लेकिन इनकी संरचना और कार्य में बहुत फर्क है।
शुक्राणु पुरुष की प्रजनन कोशिका है, जो अंडाणु को निषेचित करने के लिए जिम्मेदार होती है, जबकि वीर्य उस द्रव का नाम है जिसमें लाखों शुक्राणु निलंबित रहते हैं। वीर्य में कई अन्य घटक भी होते हैं, जो शुक्राणु को पोषण प्रदान करते हैं और उनकी सुरक्षा करते हैं, ताकि वे अंडाणु तक पहुंच सकें। वीर्य और शुक्राणु दोनों का काम एक साथ होता है, लेकिन दोनों की कार्यशैली और संरचना अलग-अलग होती है।
इस लेख का उद्देश्य शुक्राणु और वीर्य के बीच के अंतर को समझाना है, ताकि यह स्पष्ट हो सके कि दोनों का योगदान प्रजनन प्रक्रिया में किस प्रकार से होता है। साथ ही हम यह भी जानेंगे कि कैसे शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है, ताकि प्रजनन क्षमता बढ़ाई जा सके।
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Sperm क्या है? (What is Sperm?)
शुक्राणु (Sperm) पुरुष की प्रजनन कोशिका है, जिसे "गैमेट" भी कहा जाता है। यह शरीर के अंडकोष में उत्पन्न होता है और यह लगभग 0.05 मिमी लंबा होता है। शुक्राणु का आकार बहुत छोटा होता है, लेकिन इसका कार्य गर्भाधान की प्रक्रिया में बहुत महत्वपूर्ण है। शुक्राणु को एक गतिशील कोशिका माना जाता है, जिसमें तीन मुख्य भाग होते हैं: सिर (Head), शरीर (Body), और पूंछ (Tail)। शुक्राणु का सिर अंडाणु को निषेचित करने के लिए आवश्यक DNA (जीन) संग्रहित करता है। शरीर में माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं, जो शुक्राणु को ऊर्जा प्रदान करते हैं, ताकि यह अंडाणु तक पहुँच सके। शुक्राणु की पूंछ उसे गति प्रदान करती है, जिससे वह गर्भाधान के लिए आवश्यक अंडाणु तक पहुँच पाता है।
शुक्राणु का मुख्य कार्य अंडाणु को निषेचित करना है। यह तब होता है जब पुरुष के शुक्राणु महिला के अंडाणु से मिलकर गर्भाधान की प्रक्रिया को शुरू करते हैं। शुक्राणु के DNA का आदान-प्रदान बच्चे के गुणसूत्रों का निर्धारण करता है, जिसमें बच्चे के लिंग का भी फैसला होता है।
शुक्राणु की संख्या, गुणवत्ता और गति का गहरा प्रभाव प्रजनन क्षमता पर पड़ता है। यदि शुक्राणु की संख्या कम हो या उसकी गति धीमी हो, तो गर्भधारण में समस्या उत्पन्न हो सकती है। इस कारण से, शुक्राणु की गुणवत्ता को बनाए रखना पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य के लिए बहुत जरूरी है।
शुक्राणु के घटक:
- सिर (Head): इसमें शुक्राणु का जीन (DNA) संग्रहित होता है, जो अंडाणु को निषेचित करने के लिए आवश्यक होता है।
- शरीर (Body): शरीर में माइटोकॉन्ड्रिया होते हैं, जो ऊर्जा प्रदान करते हैं ताकि शुक्राणु अंडाणु की दिशा में गति कर सके।
- पूंछ (Tail): पूंछ शुक्राणु को गति देने का काम करती है, जिससे वह अंडाणु तक पहुंच सकता है।
शुक्राणु के कार्य:
- शुक्राणु का प्रमुख कार्य अंडाणु तक पहुंचकर उसे निषेचित करना है।
- यह एक कोशिका के रूप में पाया जाता है और इसमें गुणसूत्र (Chromosomes) होते हैं, जो बच्चे के लिंग का निर्धारण करते हैं।
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Semen क्या है? (What is Semen?)
वीर्य (Semen) वह तरल पदार्थ है, जिसमें शुक्राणु निलंबित होते हैं। वीर्य में केवल शुक्राणु नहीं होते, बल्कि इसमें कई अन्य रासायनिक पदार्थ और तरल पदार्थ भी होते हैं, जो शुक्राणु के कार्य को सहायक और पोषक बनाते हैं। वीर्य का मुख्य कार्य शुक्राणु को पोषण देना, उनका संरक्षण करना और उन्हें अंडाणु तक पहुँचने में मदद करना है। वीर्य का उत्पादन पुरुष के अंडकोष, प्रोस्टेट ग्रंथि, और सिमिनल वेसिकल्स से होता है। जब पुरुष उत्तेजित होते हैं, तो वीर्य स्खलन के रूप में योनिमार्ग में छोड़ दिया जाता है।
वीर्य में कई घटक होते हैं, जैसे:
- प्रोस्टेट द्रव (Prostate Fluid) – यह शुक्राणु को पोषण प्रदान करता है और उनकी गतिशीलता को बनाए रखता है।
- सिमिनल प्लाज्मा (Seminal Plasma) – यह शुक्राणु को सुरक्षा प्रदान करता है और उनका जीवनकाल बढ़ाता है।
- शुक्राणु (Sperm) – ये वीर्य के मुख्य घटक होते हैं, जो अंडाणु को निषेचित करने का कार्य करते हैं।
वीर्य में मौजूद इन रसायनों और तरल पदार्थों का मिश्रण शुक्राणु के लिए एक आदर्श वातावरण बनाता है। वीर्य में उपस्थित तरल पदार्थ न केवल शुक्राणु को पोषण देते हैं, बल्कि उनकी गतिशीलता और लंबी उम्र को सुनिश्चित करते हैं। वीर्य का यह मिश्रण गर्भधारण की संभावना को बढ़ाता है, क्योंकि शुक्राणु को गर्भाधान की प्रक्रिया को पूरा करने के लिए एक अच्छा वातावरण चाहिए होता है।
वीर्य के घटक:
- प्रोस्टेट द्रव (Prostate Fluid): यह वीर्य का एक महत्वपूर्ण घटक है जो शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है और उनके जीवनकाल को बढ़ाता है।
- सिमिनल प्लाज्मा (Seminal Plasma): यह शुक्राणु को सुरक्षा प्रदान करता है और गर्भाधान प्रक्रिया के दौरान मदद करता है।
- शुक्राणु (Sperm): जैसा कि ऊपर उल्लेख किया गया है, शुक्राणु वीर्य का प्रमुख घटक होते हैं।
वीर्य के कार्य:
- वीर्य शुक्राणुओं को पोषण प्रदान करता है, जिससे वे अंडाणु तक पहुंचने में सक्षम होते हैं।
- यह एक तरल वातावरण प्रदान करता है, जो शुक्राणुओं को गतिशील और जीवित रखने में मदद करता है।
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Sperm और Semen में क्या अंतर है? (Difference Between Sperm and Semen)
शुक्राणु और वीर्य दोनों प्रजनन प्रक्रिया के महत्वपूर्ण घटक हैं, लेकिन इनके बीच कुछ महत्वपूर्ण अंतर होते हैं। जब हम गर्भधारण और प्रजनन स्वास्थ्य की बात करते हैं, तो इन दोनों के कार्य और संरचना को समझना अत्यंत आवश्यक है।
शुक्राणु पुरुष के अंडकोष में उत्पन्न होने वाली एक कोशिका होती है, जबकि वीर्य एक तरल पदार्थ है, जिसमें शुक्राणु निलंबित होते हैं। वीर्य में कई रासायनिक पदार्थ होते हैं, जो शुक्राणुओं को सुरक्षा और पोषण प्रदान करते हैं, ताकि वे अंडाणु तक पहुंच सकें।
- संरचना और सामग्री (Structure and Composition):
- शुक्राणु: यह एकल कोशिका होती है जिसमें DNA होता है और यह अंडाणु तक पहुँचने के लिए गतिशील होता है।
- वीर्य: यह शुक्राणु के अलावा अन्य तरल पदार्थों का मिश्रण होता है, जिनमें प्रोटीन, शर्करा, एंजाइम और अन्य रसायन शामिल होते हैं, जो शुक्राणु को पोषण प्रदान करते हैं।
- कार्य (Function):
- शुक्राणु: इसका मुख्य कार्य अंडाणु से मिलकर उसे निषेचित करना है।
- वीर्य: इसका मुख्य कार्य शुक्राणुओं को पोषण देना और उन्हें अंडाणु तक पहुँचने में मदद करना है।
- उत्पत्ति (Origin):
- शुक्राणु: यह अंडकोष (Testicles) से उत्पन्न होते हैं और यौन उत्तेजना के दौरान स्खलन के द्वारा बाहर निकलते हैं।
- वीर्य: यह अंडकोष, प्रोस्टेट ग्रंथि, और सिमिनल वेसिकल्स से उत्पन्न होता है और इसमें शुक्राणु निलंबित होते हैं।
- मात्रा (Quantity):
- शुक्राणु: यह वीर्य के मुकाबले बहुत कम मात्रा में होते हैं। एक स्खलन में लगभग 100 से 150 मिलियन शुक्राणु हो सकते हैं।
- वीर्य: एक सामान्य स्खलन में लगभग 2 से 5 मिलीलीटर वीर्य होता है।
- आकार (Size):
- शुक्राणु: यह बहुत छोटा होता है, लगभग 0.05 मिमी लम्बा और सिर और पूंछ के आकार में होता है।
- वीर्य: यह तरल पदार्थ होता है और इसका आकार शुक्राणु के आकार से कहीं अधिक होता है।
शुक्राणु और वीर्य में सुधार के उपाय (How to Improve Sperm and Semen Quality)
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए कुछ बदलाव और उपाय किए जा सकते हैं। ये उपाय पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और गर्भधारण में मदद कर सकते हैं।
- आहार में बदलाव (Dietary Changes)
- विटामिन और मिनरल्स: विटामिन C, E, और जिंक का सेवन शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार करता है।
- प्रोटीन और स्वस्थ वसा: ओमेगा-3 फैटी एसिड और प्रोटीन से भरपूर आहार से शुक्राणु की गतिशीलता और गुणवत्ता में सुधार होता है
- फल और सब्जियाँ: ताजे फल और सब्जियाँ एंटीऑक्सिडेंट्स से भरपूर होती हैं, जो शुक्राणु को नुकसान से बचाते हैं।
- शारीरिक व्यायाम (Physical Exercise)
- तनाव प्रबंधन (Stress Management)
- धूम्रपान और शराब से बचाव (Avoid Smoking and Alcohol)
- पर्याप्त नींद (Adequate Sleep)
व्यायाम करने से रक्त संचार में सुधार होता है, जिससे शुक्राणु उत्पादन में मदद मिलती है। नियमित योग, स्विमिंग, और जॉगिंग जैसे व्यायाम शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को बढ़ा सकते हैं।
तनाव का सीधा असर शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता पर पड़ता है। ध्यान, प्राणायाम, और योग जैसे तनाव कम करने के उपाय पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को बेहतर बना सकते हैं।
धूम्रपान और शराब के सेवन से शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इन्हें छोड़ना शुक्राणु और वीर्य दोनों की गुणवत्ता को बेहतर बना सकता है।
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता को बनाए रखने के लिए पर्याप्त और गहरी नींद जरूरी है। एक रात में 7 से 8 घंटे की नींद प्रजनन स्वास्थ्य के लिए लाभकारी होती है।
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शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता पर असर डालने वाले कारक (Factors Affecting Sperm and Semen Quality)
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता कई अलग-अलग कारकों से प्रभावित होती है। इन कारकों को समझना बहुत जरूरी है ताकि हम अपने प्रजनन स्वास्थ्य को सही ढंग से बनाए रख सकें और सुधार सके। जीवनशैली, आहार, शारीरिक स्वास्थ्य, और पर्यावरणीय प्रभाव सभी शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता पर असर डाल सकते हैं। अगर इन कारकों का ध्यान रखा जाए, तो शुक्राणु की संख्या और उनकी गति में सुधार हो सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
- उम्र (Age)
- जीवनशैली (Lifestyle)
- स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं (Health Issues)
- पर्यावरणीय प्रभाव (Environmental Factors)
- यौन स्वास्थ्य (Sexual Health)
पुरुषों में उम्र बढ़ने के साथ-साथ शुक्राणु की गुणवत्ता में गिरावट हो सकती है। उम्र बढ़ने पर शुक्राणु की संख्या घट सकती है और उनकी गतिशीलता भी कम हो सकती है। 40 साल से ऊपर के पुरुषों में शुक्राणु के डीएनए में भी बदलाव हो सकते हैं, जो गर्भधारण में कठिनाइयाँ पैदा कर सकता है। हालांकि, उम्र के बावजूद सही देखभाल और जीवनशैली के बदलाव से शुक्राणु की गुणवत्ता को बेहतर बनाया जा सकता है।
जीवनशैली का शुक्राणु की गुणवत्ता पर गहरा असर पड़ता है। अगर व्यक्ति का आहार सही नहीं है, वह शारीरिक रूप से सक्रिय नहीं है, या अत्यधिक तनाव में रहता है, तो इन सभी चीजों का प्रभाव शुक्राणु पर पड़ता है। धूम्रपान, शराब का सेवन, और नशे की लत जैसे आदतें शुक्राणु की गुणवत्ता को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती हैं। इसके अलावा, अत्यधिक मानसिक तनाव भी शुक्राणु की संख्या और उनकी गतिशीलता पर प्रभाव डालता है।
कुछ स्वास्थ्य समस्याएँ भी शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं। जैसे कि मधुमेह, हॉर्मोनल असंतुलन, अंडकोष में संक्रमण या प्रोस्टेट की समस्याएं शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता को घटा सकती हैं। इसके अलावा, कुछ दवाइयां और उपचार, जैसे कि कीमोथेरेपी, भी शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकते हैं। इन समस्याओं के इलाज से शुक्राणु की गुणवत्ता में सुधार हो सकता है।
पर्यावरण में पाए जाने वाले विषैले तत्व भी शुक्राणु की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकते हैं। जैसे कि प्रदूषण, रासायनिक पदार्थ, और रेडिएशन का संपर्क शुक्राणु की संख्या और गतिशीलता को प्रभावित कर सकता है। लंबे समय तक इन कारकों के संपर्क में रहने से शुक्राणु की गुणवत्ता में स्थायी गिरावट आ सकती है।
यौन स्वास्थ्य भी शुक्राणु की गुणवत्ता में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यौन संचारित रोग (STDs) जैसे कि गोनोरिया, सिफलिस, या ह्यूमन पॅपिलोमा वायरस (HPV), पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकते हैं। इन रोगों का इलाज समय रहते किया जाए, तो शुक्राणु की गुणवत्ता को बनाए रखा जा सकता है।
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार के घरेलू उपाय (Home Remedies to Improve Sperm and Semen Quality)
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार के लिए कुछ प्राकृतिक उपायों का पालन किया जा सकता है। ये घरेलू उपाय आपकी जीवनशैली को बेहतर बनाने के साथ-साथ प्रजनन स्वास्थ्य को भी बेहतर बना सकते हैं। नीचे दिए गए कुछ उपायों से शुक्राणु की संख्या और गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- हरी पत्तेदार सब्जियाँ (Leafy Green Vegetables)
- आंवला और तुलसी (Amla and Basil)
- शहद और अदरक (Honey and Ginger)
- विटामिन E और जिंक (Vitamin E and Zinc)
- पानी का अधिक सेवन (Increased Water Intake)
हरी पत्तेदार सब्जियाँ जैसे पालक, मेथी, कोलार्ड ग्रीन, और सुरजमुखी से भरपूर आहार शुक्राणु की गुणवत्ता को सुधारने में मदद कर सकता है। इनमें फोलेट, विटामिन C और एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शुक्राणु की गतिशीलता और डीएनए की गुणवत्ता को बनाए रखते हैं।
आंवला में विटामिन C प्रचुर मात्रा में होता है, जो शुक्राणु की गुणवत्ता को सुधारने में मदद करता है। आंवला के सेवन से शरीर में एंटीऑक्सिडेंट्स की मात्रा बढ़ती है, जो शुक्राणु को मुक्त कणों से बचाने का काम करते हैं। इसके अलावा, तुलसी के पत्ते भी शुक्राणु को स्वस्थ रखने के लिए फायदेमंद होते हैं। तुलसी का सेवन इन्फ्लेमेशन को कम करने और शुक्राणु की संख्या बढ़ाने में मदद करता है।
शहद और अदरक दोनों शुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं। शहद में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं, जो शुक्राणु की रक्षा करते हैं। अदरक में साइटोकाइन होते हैं, जो शरीर में हॉर्मोनल बैलेंस बनाए रखने में मदद करते हैं, जिससे शुक्राणु का उत्पादन बढ़ सकता है।
विटामिन E और जिंक शुक्राणु की गुणवत्ता को बेहतर बनाने के लिए आवश्यक पोषक तत्व हैं। विटामिन E शुक्राणु की गतिशीलता और जीवनकाल को बढ़ाता है, जबकि जिंक शुक्राणु उत्पादन में मदद करता है। इन दोनों का सेवन चिया बीज, अलसी, और अंडों से किया जा सकता है।
शरीर में पानी की कमी होने से शुक्राणु की गुणवत्ता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। इसलिए, दिन में कम से कम 8-10 गिलास पानी पीना चाहिए ताकि शुक्राणु स्वस्थ और गतिशील रहें। पानी का सेवन शरीर को हाइड्रेटेड रखता है और शुक्राणु के परिवहन में मदद करता है।
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता पर असर डालने वाले बुरे आदतें (Bad Habits Affecting Sperm and Semen Quality)
कुछ बुरी आदतें शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता पर प्रतिकूल असर डाल सकती हैं। ये आदतें पुरुषों की प्रजनन क्षमता को प्रभावित कर सकती हैं और गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकती हैं। इन आदतों से बचकर शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता में सुधार किया जा सकता है।
- धूम्रपान (Smoking)
- शराब का सेवन (Alcohol Consumption)
- नशे की लत (Drug Addiction)
- तनाव (Stress)
- गर्मी का अत्यधिक संपर्क (Excessive Heat Exposure)
धूम्रपान का शुक्राणु पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ता है। इसमें पाए जाने वाले रसायन शुक्राणु के डीएनए को नुकसान पहुंचाते हैं, जिससे उनकी गुणवत्ता और गतिशीलता घट जाती है। लंबे समय तक धूम्रपान करने से शुक्राणु की संख्या भी घट सकती है, जो गर्भधारण में समस्या उत्पन्न कर सकता है।
अत्यधिक शराब का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता को घटा सकता है। यह शरीर के हार्मोनल संतुलन को प्रभावित करता है और शुक्राणु के उत्पादन को कम कर सकता है। शराब के अधिक सेवन से यौन प्रदर्शन पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जो प्रजनन क्षमता को प्रभावित करता है।
कोकीन, गांजा और अन्य ड्रग्स का सेवन भी शुक्राणु की गुणवत्ता पर प्रभाव डाल सकता है। ये पदार्थ शरीर के हॉर्मोनल बैलेंस को बिगाड़ते हैं और शुक्राणु उत्पादन में रुकावट उत्पन्न कर सकते हैं। इनका सेवन प्रजनन क्षमता पर गंभीर असर डाल सकता है।
अत्यधिक मानसिक तनाव से शरीर में कोर्टिसोल जैसे स्ट्रेस हॉर्मोन का स्तर बढ़ता है, जो शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित करता है। तनाव से शरीर में रक्त संचार में कमी आ सकती है, जिससे शुक्राणु का उत्पादन प्रभावित होता है।
अंडकोष के पास अत्यधिक गर्मी का संपर्क शुक्राणु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है। गरम पानी की बाथ, स्टीम बाथ, लैपटॉप का अधिक उपयोग, और गर्म स्थानों में अधिक समय बिताना शुक्राणु उत्पादन में कमी ला सकता है।
शुक्राणु और वीर्य दोनों का प्रजनन क्षमता में महत्वपूर्ण योगदान है, लेकिन इनकी संरचना और कार्य अलग-अलग होते हैं। शुक्राणु अंडाणु को निषेचित करने का काम करते हैं, जबकि वीर्य उन्हें पोषण और सुरक्षा प्रदान करता है। इनकी गुणवत्ता का सीधा असर गर्भधारण में पड़ता है, और यह पुरुषों के प्रजनन स्वास्थ्य का एक अहम हिस्सा है।
शुक्राणु और वीर्य की गुणवत्ता को सुधारने के लिए स्वस्थ जीवनशैली, सही आहार और नियमित व्यायाम आवश्यक हैं। धूम्रपान, शराब और तनाव से बचने के अलावा, विटामिन और मिनरल्स का सेवन भी मददगार साबित हो सकता है।
प्राकृतिक उपाय जैसे आंवला, तुलसी, और शहद का सेवन शुक्राणु की गुणवत्ता को बढ़ा सकता है। इन कदमों को अपनाकर पुरुष अपनी प्रजनन क्षमता को सुधार सकते हैं और स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
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