जानिए कब, कैसे और क्यों करें प्रेग्नेंसी टेस्ट

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Mahima Nigam

June 19, 2025

Last Edit Made By Mahima Nigam

June 19, 2025

Share

प्रेग्नेंसी टेस्ट क्या होता है? (Pregnancy Test Meaning in Hindi)

प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) एक ऐसी प्रक्रिया है जिससे यह पता लगाया जाता है कि किसी महिला के शरीर में गर्भधारण (pregnancy confirmation) हुआ है या नहीं। जब कोई महिला गर्भवती (pregnant woman) होती है, तो उसके शरीर में एक खास हार्मोन बनना शुरू होता है, जिसे hCG यानी “ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन” कहा जाता है। यह हार्मोन केवल तभी बनता है जब निषेचन (fertilization) के बाद भ्रूण गर्भाशय में चिपक जाता है।

यह टेस्ट दो तरीकों से किया जा सकता है – पहला है यूरीन टेस्ट (urine pregnancy test) और दूसरा ब्लड टेस्ट (blood pregnancy test)। यूरीन टेस्ट सबसे आम तरीका है और इसे घर पर ही आसानी से किया जा सकता है। इसके लिए मेडिकल स्टोर से एक प्रेग्नेंसी किट ली जाती है, जिसमें एक टेस्ट स्ट्रिप होती है। महिला को अपनी सुबह की पहली पेशाब की कुछ बूंदें उस स्ट्रिप पर डालनी होती हैं, जिससे कुछ मिनटों में रिज़ल्ट मिल जाता है।

ब्लड टेस्ट (blood pregnancy test) की बात करें तो यह डॉक्टर के क्लिनिक में किया जाता है और यह ज्यादा सटीक माना जाता है क्योंकि यह hCG की बहुत कम मात्रा को भी पकड़ सकता है। यह उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयोगी होता है जो जल्दी कंफर्म करना चाहती हैं या जिन्हें अनियमित पीरियड्स होते हैं।

प्रेग्नेंसी टेस्ट कब करना चाहिए? (When to Take a Pregnancy Test)

यह सवाल बहुत आम है, लेकिन इसका जवाब हर महिला की स्थिति पर निर्भर करता है। आमतौर पर, विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि अगर आपके पीरियड्स नियमित हैं और आपने अपनी मासिक धर्म तिथि मिस (missed period) कर दी है, तो कम से कम एक हफ्ते इंतज़ार करें और फिर प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) करें। ऐसा इसलिए क्योंकि गर्भधारण के बाद hCG हार्मोन धीरे-धीरे शरीर में बनता है और शुरुआती दिनों में उसकी मात्रा कम होती है।

अगर आपके पीरियड्स अनियमित हैं, तो आखिरी बार संबंध बनाने के 14 दिन बाद टेस्ट करना उपयुक्त रहेगा। यह अवधि इसलिए जरूरी होती है ताकि निषेचन के बाद भ्रूण गर्भाशय में चिपक सके और hCG बनने लगे।

अगर आप फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (fertility treatment pregnancy) ले रही हैं या गर्भधारण की प्लानिंग कर रही हैं, तो डॉक्टर की सलाह से ही टेस्ट करें। सुबह की पहली पेशाब में hCG का स्तर ज्यादा होता है, इसलिए अधिकतर डॉक्टर उसी समय टेस्ट करने की सलाह देते हैं।

ध्यान रखें, सही समय पर टेस्ट करने से मानसिक तनाव कम होता है और भ्रम की स्थिति नहीं बनती। यह निर्णय लेने में मदद करता है कि क्या डॉक्टर से मिलना चाहिए, क्या पोषण संबंधी बदलाव जरूरी हैं, या किसी और मेडिकल सहायता की जरूरत है।

यह भी पढ़ें: IVF के बाद गर्भावस्था के लक्षण- जानें, क्या हो सकते हैं संकेत?

प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आए तो क्या करें? (What to Do After a Positive Pregnancy Test)

अगर आपका पॉजिटिव टेस्ट (positive pregnancy test) आता है, तो इसका मतलब है कि शरीर में hCG हार्मोन है और आप गर्भवती (pregnant woman) हैं। इस स्थिति में सबसे पहले शांत रहें और जल्दबाज़ी में कोई निर्णय न लें। अगला कदम है — एक अच्छे गायनेकॉलजिस्ट (gynecologist consultation) से संपर्क करना।

डॉक्टर सबसे पहले ब्लड टेस्ट (blood pregnancy test) और फिर अल्ट्रासाउंड (ultrasound pregnancy scan) की सलाह देंगे, जिससे यह सुनिश्चित किया जा सके कि भ्रूण सही जगह यानी गर्भाशय में है। इससे एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy symptoms) जैसे जोखिमों को समय रहते पहचाना जा सकता है।

साथ ही डॉक्टर फोलिक एसिड (folic acid in pregnancy), आयरन और अन्य जरूरी विटामिन्स लेने की सलाह देंगे ताकि भ्रूण का स्वस्थ विकास हो सके। कई बार थायरॉइड (thyroid during pregnancy) या ब्लड ग्रुप (blood group in pregnancy) जैसी जांचें भी जरूरी हो जाती हैं।

अगर आप गर्भावस्था को आगे बढ़ाना चाहती हैं तो यह शुरुआती देखभाल बेहद अहम होती है। वहीं अगर आप गर्भावस्था नहीं चाहतीं, तो डॉक्टर आपको सुरक्षित विकल्पों की जानकारी देंगे। यह वक्त मानसिक रूप से संवेदनशील होता है, इसलिए परिवार और डॉक्टर का सहयोग बहुत जरूरी होता है।

प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव आए तो क्या करें? (What to Do After Negative Pregnancy Test Result)

अगर टेस्ट नेगेटिव (negative pregnancy test result) आता है लेकिन आपको गर्भवती होने का संदेह है, तो घबराने की जरूरत नहीं है। कई बार hCG का स्तर इतना नहीं बढ़ा होता कि किट उसे पहचान सके। अगर पीरियड मिस (missed period) हुआ है, तो 2–3 दिन बाद दोबारा टेस्ट करना बेहतर होता है।

ध्यान दें कि थायरॉइड (thyroid during pregnancy), पीसीओएस (PCOS and pregnancy) या तनाव जैसे कारण भी पीरियड में देरी कर सकते हैं। ऐसे मामलों में डॉक्टर से संपर्क कर ब्लड टेस्ट या अल्ट्रासाउंड कराना ही उचित होगा। ब्लड टेस्ट में hCG की छोटी मात्रा भी पहचान ली जाती है, जिससे रिज़ल्ट अधिक सटीक होता है।

यह भी पढ़ें: थायराइड के बावजूद गर्भधारण कैसे करें? जानिए आसान तरीके!

कई बार नई दवाओं के सेवन से भी हार्मोन पर असर पड़ सकता है। इसलिए अगर आप किसी भी तरह की दवाएं ले रही हैं तो डॉक्टर को जरूर बताएं। और अगर आपने टेस्ट किट के निर्देशों का सही पालन नहीं किया है, जैसे स्ट्रिप को गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया है, तो भी गलत परिणाम मिल सकते हैं। याद रखें, एक बार का नेगेटिव रिज़ल्ट अंतिम नहीं होता। दोबारा टेस्ट करना, लक्षणों पर नजर रखना और डॉक्टर से मिलना हमेशा सही रास्ता होता है।

गलत पॉजिटिव या नेगेटिव रिज़ल्ट क्यों आते हैं? (False Positive or Negative Pregnancy Test Results)

प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) आमतौर पर भरोसेमंद होते हैं, लेकिन कुछ परिस्थितियों में गलत पॉजिटिव या नेगेटिव रिज़ल्ट भी आ सकते हैं। इसे मेडिकल भाषा में “फॉल्स पॉजिटिव” (false positive pregnancy test) और “फॉल्स नेगेटिव” (false negative pregnancy test) कहा जाता है। इसका सबसे आम कारण है — टेस्ट बहुत जल्दी करना। जब hCG हार्मोन (human chorionic gonadotropin hormone) की मात्रा शरीर में कम होती है, तो किट उसे पहचान नहीं पाती और नेगेटिव रिज़ल्ट दिखा देती है।

एक और कारण होता है — खराब या एक्सपायर्ड टेस्ट किट, या फिर टेस्ट करते समय गलती होना जैसे स्ट्रिप को बहुत देर तक पेशाब में डुबोना या समय से पहले/बाद में रिज़ल्ट देखना। ये सभी बातें रिज़ल्ट की सटीकता पर असर डालती हैं।

कुछ मामलों में पॉजिटिव रिज़ल्ट भी गलत हो सकता है, खासकर अगर महिला ने हाल ही में फर्टिलिटी ट्रीटमेंट (fertility treatment pregnancy) लिया हो, या अगर हाल ही में मिसकैरेज (miscarriage detection) या एक्टोपिक प्रेग्नेंसी (ectopic pregnancy symptoms) हुआ हो।

अगर रिज़ल्ट पर जरा भी संदेह हो, तो सबसे बेहतर तरीका है कि ब्लड टेस्ट (blood pregnancy test) या अल्ट्रासाउंड (ultrasound pregnancy scan) द्वारा कन्फर्म करवा लिया जाए। इससे भ्रम की स्थिति खत्म होती है और समय पर सही निर्णय लिया जा सकता है।

प्रेग्नेंसी टेस्ट से पहले और बाद में क्या सावधानियाँ रखें? (Precautions Before and After Pregnancy Test)

प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) को सटीक और भरोसेमंद बनाने के लिए कुछ जरूरी सावधानियों का पालन करना चाहिए। सबसे पहले, टेस्ट करने के लिए सुबह की पहली पेशाब का उपयोग करें क्योंकि इसमें hCG हार्मोन (hCG hormone level in morning urine) सबसे अधिक मात्रा में होता है। इससे रिज़ल्ट सटीक आने की संभावना बढ़ जाती है।

टेस्ट किट को खरीदते समय उसकी एक्सपायरी डेट जरूर देखें। टेस्ट करते समय पैकेट पर दिए गए निर्देशों को ठीक से पढ़ें और हर स्टेप को ध्यानपूर्वक फॉलो करें। स्ट्रिप को कितनी देर पेशाब में रखना है, और कितनी देर बाद रिज़ल्ट पढ़ना है – ये सारी जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती हैं।

टेस्ट करने से 1–2 घंटे पहले अधिक मात्रा में पानी न पिएं, क्योंकि इससे पेशाब पतली हो सकती है और hCG का स्तर कम हो सकता है। यह गलत नेगेटिव रिज़ल्ट (false negative pregnancy test) का कारण बन सकता है।

अगर रिज़ल्ट साफ़-साफ़ नहीं आ रहा है, तो उसी दिन दोबारा टेस्ट न करें। 1–2 दिन रुककर फिर से टेस्ट करें। और यदि टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो गर्भावस्था की पुष्टि के लिए गायनेकॉलजिस्ट (gynecologist consultation) से संपर्क करना आवश्यक है।

हर महिला की स्थिति अलग होती है, इसलिए इंटरनेट या किट पर पूरी तरह निर्भर न रहें। डॉक्टर की सलाह ही सबसे भरोसेमंद और सुरक्षित तरीका है।

प्रेग्नेंसी के शुरुआती लक्षण क्या होते हैं? (Early Signs of Pregnancy in Hindi)

अगर आप सोच रही हैं कि प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) करने की ज़रूरत है या नहीं, तो यह जानना जरूरी है कि गर्भधारण (pregnancy confirmation) के क्या-क्या शुरुआती लक्षण हो सकते हैं। हालांकि हर महिला का अनुभव अलग होता है, लेकिन कुछ आम संकेत हैं जो शरीर में जल्दी दिखाई देने लगते हैं।

सबसे सामान्य लक्षण है — पीरियड मिस होना (missed period)। यदि आपके पीरियड नियमित हैं और समय पर नहीं आए हैं, तो यह पहला संकेत हो सकता है। इसके अलावा सुबह के समय मतली आना (morning sickness), स्तनों में भारीपन या संवेदनशीलता, बार-बार पेशाब आना, अत्यधिक थकान, मूड स्विंग्स और हल्का पेट दर्द भी गर्भावस्था के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

कई बार महिलाओं को हल्की ब्लीडिंग भी होती है, जिसे इम्प्लांटेशन ब्लीडिंग कहा जाता है। इसे लोग सामान्य पीरियड समझ लेते हैं, लेकिन यह गर्भधारण का संकेत भी हो सकता है।

हालांकि इन लक्षणों का अनुभव करना जरूरी नहीं कि आप गर्भवती हैं। ये लक्षण थकान, हार्मोनल बदलाव या किसी अन्य कारण से भी हो सकते हैं। इसलिए अगर आपको शक है, तो सही समय पर प्रेग्नेंसी टेस्ट (best time for pregnancy test) जरूर करें।

घरेलू उपाय बनाम मेडिकल टेस्ट: किस पर भरोसा करें? (Home Remedies vs. Medical Test for Pregnancy)

भारत में अब भी बहुत सारी महिलाएं प्रेग्नेंसी की पुष्टि के लिए घरेलू उपाय (home pregnancy test methods) आज़माती हैं। जैसे – नमक टेस्ट, टूथपेस्ट टेस्ट, डांडी टेस्ट आदि। लेकिन ध्यान रखें कि ये सब वैज्ञानिक रूप से प्रमाणित नहीं हैं और इनसे मिलने वाले रिज़ल्ट अक्सर भ्रमित करने वाले होते हैं।

दूसरी ओर, मेडिकल तरीके जैसे यूरीन प्रेग्नेंसी टेस्ट (urine pregnancy test) या ब्लड टेस्ट (blood pregnancy test) पूरी तरह प्रमाणित और वैज्ञानिक हैं। इन पर भरोसा किया जा सकता है क्योंकि ये hCG हार्मोन को पहचान कर रिज़ल्ट देते हैं।

घरेलू उपायों में कोई सटीकता नहीं होती और इनके भरोसे रहना गर्भधारण की पुष्टि में देरी कर सकता है। इससे ना सिर्फ मानसिक तनाव बढ़ता है, बल्कि जरूरी समय पर मेडिकल देखभाल भी नहीं मिल पाती। इसलिए अगर आप जानना चाहती हैं कि आप गर्भवती हैं या नहीं, तो केवल वैज्ञानिक तरीकों पर ही भरोसा करें।

यदि संभव हो तो टेस्ट के बाद डॉक्टर से संपर्क जरूर करें, ताकि यदि आपको आगे किसी प्रकार की देखभाल या परामर्श की ज़रूरत हो तो वह समय पर मिल सके।

प्रेग्नेंसी टेस्ट (pregnancy test) सिर्फ एक स्ट्रिप या ब्लड रिपोर्ट नहीं है — यह एक महिला के जीवन में बहुत बड़ा बदलाव लाने वाला क्षण हो सकता है। चाहे आप मातृत्व को अपनाने की योजना बना रही हों या यह स्थिति अनियोजित हो, सही समय पर टेस्ट करना, सही जानकारी रखना, और उचित निर्णय लेना बेहद जरूरी होता है।

टेस्ट कब करें, कैसे करें, रिज़ल्ट पॉजिटिव हो या नेगेटिव — हर परिस्थिति में डॉक्टर की सलाह लेना आपके और आपके शरीर के लिए सबसे सुरक्षित रास्ता है। इंटरनेट, घरेलू नुस्खों या किट के भरोसे पूरी तरह न रहें।

यह ब्लॉग इसी उद्देश्य से लिखा गया है कि कोई भी महिला, किसी भी पृष्ठभूमि से हो, सरल भाषा में जरूरी जानकारी पा सके। अगर आपको यह लेख उपयोगी लगा हो, तो इसे ज़रूर साझा करें — क्योंकि सही जानकारी न केवल डर को कम करती है, बल्कि ज़िम्मेदार निर्णय लेने में भी मदद करती है।

Disclaimer

As per the "PCPNDT" (Regulation and Prevention of Misuse) Act, 1994, Gender Selection and Determination is strictly prohibited and is a criminal offense. Our centers strictly do not determine the sex of the fetus. The content is for informational and educational purposes only. Treatment of patients varies based on his/her medical condition. Always consult with your doctor for any treatment.

Popular Posts

Popular Posts

Pay in Easy EMI @ 0% Interest Rate

Click to Call Us

Call Us