क्या आईवीएफ़ उम्र और वजन से प्रभावित हो सकता है?

क्या आईवीएफ़ उम्र और वजन से प्रभावित हो सकता है, Can IVF be affected by age and weight

Can IVF be affected by age and weight?

आईवीएफ़ का अर्थ है इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (In vitro fertilization), यह गर्भधारण करने की एक कृत्रिम प्रक्रिया है। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए वरदान साबित हुई है जो किसी कारणवश संतान पाने में असमर्थ हैं। इस तकनीक से जन्मे बच्चों को टेस्ट ट्यूब बेबी (Test Tube Baby) कहा जाता है। आज के आधुनिक युग में तो इस तकनीक की मांग लगातार बढ़ रही है।

विदेशों में ही नहीं भारत में भी इस तकनीक को बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया जा रहा है। लोग आईवीएफ़ को सबसे ज्यादा इसलिए पसंद करते हैं क्योंकि इसकी सफलता दर काफी ज्यादा है और इससे संबन्धित अस्पताल लगभग हर देश और शहर में आसानी से मिल जाते हैं। लेकिन आज भी आईवीएफ़ को लेकर लोगों के मन में कई संदेह हैं जैसे कि यह प्रक्रिया कितनी सुरक्षित है इसके क्या फायदे और नुकसान हैं। इसी तरह एक संदेह यह है कि आईवीएफ़ में उम्र और शरीर के वजन की  क्या भूमिका है? चलिए इस बारे में विस्तार से जानते हैं

आईवीएफ़ प्रक्रिया पर वजन का प्रभाव (Effect of weight on IVF process)

अधिक वजन वाले लोग अक्सर कई बीमारियों से घिरे रहते हैं जैसे मधुमेह उच्च रक्तचाप, जोड़ों का दर्द, आदि। इसी तरह गर्भावस्था के समय भी यदि वजन बढ़ जाए तो महिलाओं को कई परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। जरूरत से कम या अधिक वजन वाली महिलाएं, दोनों ही बांझपन की समस्या से ज्यादा परेशान रहती है क्योंकि इससे हार्मोनल समस्याएं हो सकती हैं जिससे कंसीव करने में परेशानी होती है।

बड़ा हुआ वजन आईवीएफ़ तकनीक से गर्भधारण (Pregnancy) करने में भी परेशानी पैदा कर सकता है। एक रिसर्च में पता चला है कि अधिक वजन अंडाणु की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकता है और आईवीएफ़ प्रक्रिया को उनके स्वयं के अंडाणु द्वारा सफलतापूर्वक करना मुश्किल बना देता है। मोटापे के कारण गर्भपात होने का खतरा भी बढ़ जाता है। ज्यादा वजन की वजह से आईवीएफ़ की प्रक्रिया में भी कई दिक्कतें आती हैं।

एक रिसर्च में यह भी पता चला है कि अधिक वजन वाली महिलाओं को सामान्य वजन वाली महिलाओं की तुलना में प्रजनन दवाओं का सहारा लेना पड़ सकता है ताकि उनके अंडाणु सही समय पर उत्पादित हो।

आईवीएफ़ पर उम्र का प्रभाव (Effect of age on IVF)

आईवीएफ़ प्रक्रिया में महिलाओं की उम्र बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है क्योंकि जैसे-जैसे उम्र बढ़ती है महिला के गर्भवती होने की संभावना उतनी ही कम हो जाती है। जितनी कम उम्र की महिला होगी उतनी ही उसके अंडों की गुणवत्ता अच्छी होगी और गर्भधारण करने की संभावना भी अधिक होगी। यदि महिला की उम्र 40 या उससे अधिक है तो गर्भवती होने की संभावना 5% से भी कम हो जाती हैं क्योंकि उम्र के बढ़ने से महिलाओं में अंडों की मात्रा कम हो जाती है और अंडों की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है। इसलिए एक सही उम्र में गर्भधारण करना ही सही माना जाता है।

आईवीएफ़ प्रक्रिया में महिला यदि स्वयं के अंडों से गर्भ धारण करना चाहती हैं तो उसकी औसत उम्र 36 वर्ष होनी चाहिए और यदि दूसरों के अंडों के इस्तेमाल से इस प्रक्रिया को करना चाहती है तो उम्र लगभग 41 वर्ष होनी चाहिए। यदि महिला की उम्र 40 या 45 वर्ष के ऊपर है तो किसी युवा महिला के अंडे लेने की सलाह दी जाती है क्योंकि ज्यादा उम्र की महिलाओं के अंडे अच्छे से निषेचित नहीं हो पाते हैं। आईवीएफ़ प्रक्रिया के लिए महिला की अधिकतम उम्र 45 वर्ष और पुरुष की 50 वर्ष होनी चाहिए। 

यदि आप भी बड़े हुए वजन और उम्र दोनों के कारण से अब तक माता-पिता न बन पाने की समस्या से जूझ रहे हैं और अपनी इस समस्या का समाधान पाना चाहते हैं तो क्रिस्टा आईवीएफ़ (Crysta IVF) आपके लिए एक बेहतर विकल्प है। समस्या चाहे कोई भी हो, अगर इस बात की थोड़ी सी भी संभावना है कि आपका इलाज हो सकता है तो आप यहाँ से निराश नहीं लोटेंगे। 

यह सेंटर आपको उचित कीमत पर उपचार प्रदान करता है। भारत के 20 से अधिक शहरों में इसके कई केंद्र हैं। यह एक भरोसेमंद इनफर्टिलिटी शृंखला है जो 5000 से अधिक दम्पतियों को मातृत्व सुख का अनुभव दे चुका है। यहाँ अब तक 20000 से अधिक दम्पतियों ने अपोइंटमेंट (Appointment) ली है और अपनी समस्या का समाधान करने की ओर पहला कदम उठाया है। क्रिस्टा आईवीएफ़ आपको इनफर्टिलिटी विशेषज्ञों (Infertility specialists) और भ्रूणविज्ञानियों (Embryologists)और उनकी अनुभवी टीम की निगरानी में इस प्रक्रिया की उच्च सफलता दर और पूरी देखभाल के साथ बेहतर उपचार प्रदान करता है जिससे आपका माता-पिता बनने का सपना पूरा हो सकता है।

Shivangi Prajapati

Shivangi Prajapati, a writer by profession and passion, has expertise in the healthcare industry. With her extensive research into medical advances, she loves breaking down complex health information, making it easier for people to understand the recent trends in clinical and medical realities. Her dedication to providing trustworthy, relevant, and usable information helps people take good care of their health.