रसोली क्या होती है (Rasoli Meaning in Hindi)
रसोली/गांठ (Cyst) गर्भाशय की मांसपेशियों में होने वाला एक प्रकार का ट्यूमर है। यूट्रस की मांसपेशियों में अगर एक या एक से ज्यादा गांठ बन जाती है तो रसोली की समस्या पैदा होती है।
इस परेशानी को मायोमा और लेयोमायोमा के नाम से भी जाना जाता है। यह आकार में अनार के दानों जितने होते हैं। समय के साथ साथ इनका आकार बढ़ता है जिसके साथ शरीर में दर्द भी बढ़ता जाता है।
इसकी वजह से पेट में काफी दर्द और पीरियड में असामान्य ब्लीडिंग होती है।
कभी कभी इसके लक्षण दिखाई नहीं देते, जिसकी वजह से इस समस्या की जानकारी काफी देर में होती है। ऐसी स्थिति में दिक्कत और ज्यादा बढ़ जाती है।
आमतौर पर रसोली ज्यादा उम्र की औरतों में देखने को मिलती है लेकिन आजकल यह समस्या टीनएजर्स में भी पाई जाती है।
रसोली के होने की मुख्य वजह एस्ट्रोजन हार्मोन को माना जाता है। एस्ट्रोजन के शरीर में कम होते ही रसोली भी सिकुड़ने लगती है।
यूट्रस में अगर एक बार रसोली हो जाए तो यह मेनोपॉज के बाद भी शरीर में रहती है। जिन महिलाओं को मोटापा ज्यादा होता है उनके शरीर में रसोली होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।
गर्भाशय में रसोली की समस्या होने के कारण (Problem of Cyst in the Uterus)
अब तक गर्भाशय में रसोली के होने का सही कारण का पता नहीं लग पाया है। लेकिन नीचे हम कुछ ऐसे कारणों के बारे में पढ़ने जा रहे हैं जो आमतौर पर रसोली के मुख्य कारण माने जाते हैं।
हार्मोन (Hormones)
एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन की वजह से भी रसोली की दिक्कत हो सकती है। रसोली एस्ट्रोजन और प्रोजेस्टेरोन को अब्सॉर्ब करती हैं जिसकी वजह से इनका आकार पहले की तुलना में ज्यादा हो जाता है।
मेनोपॉज के पश्चात शरीर में यह दोनों हार्मोन कम मात्रा में ही बनते हैं। उस वक्त रसोली के आकार में भी काफी कमी आती है और यह खत्म हो सकती हैं।
मेनोपॉज के बाद यूट्रस का आकार भी सामान्य हो जाता है जिसकी वजह से रसोली भी सामान्य हो जाती हैं।
आनुवांशिकी (Genetics)
रसोली की परेशानी आनुवांशिक है यानी कि अगर यह समस्या पहले घर में किसी महिला को हो रखी है तो इसकी संभावना काफी ज्यादा है कि यह उसके ब्लड रिलेटिव को भी हो जाए।
अन्य कारण (Other Reason)
कम उम्र में पीरियड होना, गर्भनिरोधक दवाइयों का इस्तेमाल, शरीर में विटामिन डी की मात्रा में कमी, वजन में कमी, मांस और शराब का अत्यधिक सेवन करने से भी शरीर में रसोली बन सकती है।
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गर्भाशय में रसोली का इलाज (Treatment of Cyst in Uterus)
रसोली का इलाज नीचे दिए गए तरीकों से किया जा सकता है:
गोनेडोटरोपिन रिलीजिंग हार्मोन एगोनिस्ट (जीएनआरएचए) (Gonadotropin releasing hormone agonist)
जीएनआरएचए (GNRHA) एक तरह का इलाज है जो कि सेक्स हार्मोन पर असर डालता है। इसकी वजह से एस्ट्रोजन कम बनता हैं और रसोली से भी छुटकारा मिल जाता है।
जीएनआरएचए का पीरियड्स पर भी असर पड़ता है। यह मासिक धर्म चक्र को रोक सकता है लेकिन इसकी वजह से फर्टिलिटी पर किसी भी प्रकार का गलत असर नहीं पड़ता है।
सर्जरी से पहले इसी इलाज को अपनाया जाता है। इस इलाज के बाद ज्यादा पसीना और योनि में सूखेपन की दिक्कत हो सकती है।
यह इलाज केवल छोटे आकार के फाइब्रॉइड में ही फायदेमंद होता है। कम से कम समय में फाइब्रॉइड से छुटकारा पाने हेतु यह एक अच्छा इलाज है।
गर्भनिरोधक गोलियां (Contraceptive pills)
इन गोलियों के सेवन से भी रसोली की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। यह गोलियां ओवुलेशन साइकिल को नियंत्रित करती हैं। लेकिन कभी-कभी फाइब्रॉइड पर इनका कोई भी असर नहीं होता है ऐसे में दूसरे इलाकों की ओर जाना पड़ता है।
लेवोनोर्गेस्ट्रेल इंट्रायूटरिन सिस्टम (Levonorgestrel Intrauterine System)
उपचार की इस प्रक्रिया में एक प्लास्टिक डिवाइस को गर्भाशय के अंदर डाला जाता है। लेवोनोर्गेस्ट्रेल एक तरह का प्रोजेस्टेरोन है जोकि इस प्लास्टिक डिवाइस से बनने लगता है जिसकी सहायता से गर्भाशय में हो रहे परिवर्तन को काफी तेजी से रोका जा सकता है।
ऐसा करने से ब्लीडिंग की समस्या भी दूर हो जाती है। इस इलाज के कुछ साइड इफेक्ट भी हैं जैसे, मासिक धर्म चक्र में अनियमितता, स्तनों के आकार में परिवर्तन, सर दर्द, चेहरे पर मुंहासे, आदि। इसके अलावा इससे कुछ समय के लिए पीरियड भी बंद हो सकते हैं।
मायोमेक्टोमी (Myomectomy)
सर्जरी की मदद से गर्भाशय से रसोली को निकाला जाता है। यह सर्जरी केवल छोटे आकार की रसोली को निकालती है। अगर रसोली का आकार काफी बड़ा है या गर्भाशय की दीवार के अलावा किसी और जगह पर है तो फाइब्रॉइड को इस सर्जरी से निकाला नहीं जा सकता है।
1. एंडोमेट्रियल एब्लेशन
गर्भाशय के अंदर अगर रसोली है तो चिकित्सा की यह प्रक्रिया भी काफी हद तक सफल होती है।
2. हिस्टोरेक्टोमी
अगर ब्लीडिंग ज्यादा है या फिर रसोली का आकार काफी बड़ा है तो ऐसी स्थिति में ही इस सर्जरी का उपयोग किया जाता है। इस सर्जरी की सहायता से फाइब्रॉइड को गर्भाशय से निकाला जाता है।
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