ब्लास्टोसिस्ट क्या होता है? जानिए IVF में इसका सीधा कनेक्शन प्रेग्नेंसी सक्सेस से!

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Mahima Nigam

June 11, 2025

Last Edit Made By Mahima Nigam

June 11, 2025

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ब्लास्टोसिस्ट क्या होता है? (Blastocyst Meaning in Hindi)

जब कोई महिला कृत्रिम गर्भाधान प्रक्रिया (आईवीएफ - IVF) से गुजरती है, तो डॉक्टर अंडाणु (egg) और शुक्राणु (sperm) को प्रयोगशाला में मिलाते हैं ताकि निषेचन (fertilization) हो सके। निषेचित अंडाणु (fertilized egg) पहले कुछ दिनों में कोशिका विभाजन (cell division) करते हुए एक सामान्य भ्रूण (embryo) बनाता है। यदि यह भ्रूण 5वें या 6वें दिन तक सफलतापूर्वक बढ़ता है, तो वह एक विशेष अवस्था में पहुंचता है जिसे ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) कहा जाता है।

ब्लास्टोसिस्ट वह अवस्था है जब भ्रूण में लगभग 70 से 100 कोशिकाएं होती हैं और उसके भीतर तरल पदार्थ से भरी एक गुहा (fluid-filled cavity) होती है। इस अवस्था में भ्रूण अधिक परिपक्व (mature) होता है और गर्भाशय की भीतरी परत (uterine lining) में चिपकने के लिए पूरी तरह से तैयार होता है। प्राकृतिक गर्भधारण में भी यही वह अवस्था होती है जब भ्रूण गर्भाशय में पहुंचकर आरोपण (implantation) करता है। इसी कारण, आजकल कृत्रिम गर्भाधान में भी ब्लास्टोसिस्ट स्थानांतरण (blastocyst transfer) को अधिक प्रभावशाली और सफल विकल्प माना जाता है।

ब्लास्टोसिस्ट की बनावट कैसी होती है? (Blastocyst Structure in Hindi)

ब्लास्टोसिस्ट एक विशेष प्रकार का विकसित भ्रूण होता है, जो निषेचन के लगभग पांच से छह दिन बाद बनता है। इस अवस्था में भ्रूण की बनावट अन्य प्रारंभिक अवस्थाओं की तुलना में अधिक जटिल और व्यवस्थित होती है। इसका आकार एक पतले खोल वाला गुब्बारा जैसा होता है, जिसके अंदर कई प्रकार की कोशिकाएं और तरल पदार्थ होता है।

ब्लास्टोसिस्ट की संरचना में तीन मुख्य भाग होते हैं:

  • भीतरी कोशिका समूह (Inner Cell Mass - ICM): यह वह कोशिकाएं होती हैं जो आगे चलकर भ्रूण (fetus) का निर्माण करती हैं। यही हिस्सा भविष्य में शिशु के रूप में विकसित होता है।
  • ट्रोफोब्लास्ट (Trophoblast): यह बाहरी कोशिका परत होती है जो गर्भनाल (placenta) का निर्माण करती है। यह परत मां और भ्रूण के बीच पोषण और ऑक्सीजन के आदान-प्रदान में मदद करती है।
  • ब्लास्टोकोएल (Blastocoel): यह एक तरल पदार्थ से भरी गुहा होती है जो ब्लास्टोसिस्ट को उसका विशिष्ट आकार देती है और कोशिकाओं को अलग-अलग कार्यों के लिए विभाजित होने में सहायता करती है।

इस संपूर्ण संरचना के कारण ब्लास्टोसिस्ट न केवल अधिक परिपक्व होता है, बल्कि गर्भाशय में आरोपित (implant) होने के लिए भी पूरी तरह उपयुक्त होता है।

IVF में ब्लास्टोसिस्ट का क्या रोल है? (Role of Blastocyst in IVF Process)

आईवीएफ (IVF) प्रक्रिया में ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि यह भ्रूण की वह अवस्था होती है जिसमें वह आरोपण (implantation) के लिए सबसे ज़्यादा सक्षम माना जाता है। जब अंडाणु और शुक्राणु को लैब में निषेचित किया जाता है, तो शुरू के 3 दिन भ्रूण केवल कुछ कोशिकाओं में बंटता है। लेकिन जब यह भ्रूण 5वें या 6वें दिन तक जीवित रहकर विकास करता है, तब वह एक परिपक्व ब्लास्टोसिस्ट बनता है।

ब्लास्टोसिस्ट में दो प्रमुख भाग होते हैं – भीतरी कोशिका समूह (inner cell mass), जिससे बच्चा बनता है, और ट्रोफोब्लास्ट (trophoblast), जो प्लेसेंटा का निर्माण करता है। इनकी गुणवत्ता यह तय करती है कि भ्रूण कितना स्वस्थ है और गर्भाशय में सफलतापूर्वक चिपकने की संभावना कितनी अधिक है।

अधिकतर विशेषज्ञ अब ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (blastocyst transfer) को पारंपरिक डे-3 ट्रांसफर से बेहतर मानते हैं, क्योंकि इससे आईवीएफ की सफलता दर (IVF success rate) अधिक होती है। यही कारण है कि कई दंपत्ति अब high quality embryo transfer, advanced IVF clinic, और blastocyst culture IVF जैसी सेवाएं चुनते हैं।

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर क्या है? (What is Blastocyst Transfer)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (blastocyst transfer) वह प्रक्रिया है जिसमें 5वें या 6वें दिन परिपक्व भ्रूण को गर्भाशय में डाला जाता है ताकि वह प्राकृतिक रूप से आरोपित हो सके। यह प्रक्रिया पारंपरिक डे-2 या डे-3 एम्ब्रायो ट्रांसफर की तुलना में ज़्यादा सफल मानी जाती है क्योंकि यह प्राकृतिक गर्भधारण की प्रक्रिया के समय से मेल खाती है। जब भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट अवस्था तक पहुंचता है, तो इसका मतलब होता है कि वह अच्छी तरह विकसित हो चुका है और उसमें आरोपण की संभावना अधिक है। विशेषज्ञ इस स्टेज तक पहुंचने वाले भ्रूणों को embryo selection के ज़रिए परखते हैं और फिर सबसे बेहतर को चुना जाता है। इसके बाद एक पतली ट्यूब (कैथेटर) के माध्यम से गर्भाशय में इसे बड़ी सावधानी से रखा जाता है।

यह प्रक्रिया उन दंपत्तियों के लिए खासतौर पर फायदेमंद होती है जो पहले कई बार IVF असफलता (IVF failure) का सामना कर चुके हैं। क्योंकि ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर से pregnancy rate अधिक होता है और multiple pregnancy का खतरा कम होता है, इसे अब ज़्यादातर couples अपने लिए चुनते हैं।

ब्लास्टोसिस्ट और एम्ब्रायो में क्या फर्क है? (Difference Between Blastocyst and Embryo)

भ्रूण (embryo) और ब्लास्टोसिस्ट (blastocyst) दोनों ही निषेचन (fertilization) के बाद की अवस्थाएं होती हैं, लेकिन इनमें कोशिका विकास (cell development) के आधार पर स्पष्ट अंतर होता है। जब अंडाणु और शुक्राणु को प्रयोगशाला में मिलाया जाता है, तो उससे बना निषेचित अंडाणु (fertilized egg) पहले कुछ दिनों तक विभाजन करता है। तीसरे दिन तक जो स्थिति बनती है, उसे भ्रूण कहा जाता है, जिसमें लगभग 6 से 8 कोशिकाएं होती हैं। इस अवस्था को डे-3 भ्रूण (day 3 embryo) कहते हैं।

वहीं, जब यही भ्रूण आगे विकास करता है और पांचवे या छठे दिन तक पहुंचता है, तो वह ब्लास्टोसिस्ट बन जाता है। इस अवस्था में इसमें लगभग 70 से 100 कोशिकाएं होती हैं, और यह अधिक परिपक्व तथा आरोपण (implantation) के लिए तैयार होता है। ब्लास्टोसिस्ट में दो महत्वपूर्ण भाग होते हैं—भीतरी कोशिका समूह (inner cell mass) और ट्रोफोब्लास्ट (trophoblast), जो इसे प्राकृतिक रूप से आरोपित होने में मदद करते हैं।

आजकल कई प्रजनन केंद्र डे-3 भ्रूण की बजाय डे-5 ब्लास्टोसिस्ट स्थानांतरण (day 5 blastocyst transfer) को प्राथमिकता देते हैं क्योंकि इससे सफलता की संभावना अधिक होती है। बहुत से दंपत्ति अब इस अंतर को समझते हुए उपचार के लिए उच्च सफलता दर वाले आईवीएफ विकल्प (high success IVF options) और ब्लास्टोसिस्ट आधारित भ्रूण स्थानांतरण (blastocyst-based embryo transfer) का चयन कर रहे हैं।

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर कब किया जाता है? (When is Blastocyst Transfer Done)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (blastocyst transfer) उस स्थिति में किया जाता है जब भ्रूण प्रयोगशाला में निषेचन के पांच या छह दिन बाद ब्लास्टोसिस्ट अवस्था में पहुंच जाए। यह प्रक्रिया उन महिलाओं के लिए विशेष रूप से उपयुक्त होती है जिनकी आयु 35 वर्ष से कम हो, जिनके पास अच्छी डिमांड में अंडाणु हों (good ovarian reserve), और जिनकी पूर्ववर्ती आईवीएफ चक्र (IVF cycle) असफल रही हो।

जब भ्रूण की संख्या और गुणवत्ता दोनों संतोषजनक होती हैं, तो डॉक्टर उसे 5 दिन तक प्रयोगशाला में विकसित करते हैं और फिर केवल सबसे योग्य ब्लास्टोसिस्ट को चुनते हैं। यह चयन प्रक्रिया श्रेष्ठ भ्रूण चयन (best embryo selection) में सहायता करती है और गर्भधारण की संभावना को बढ़ाती है।

कुछ मामलों में, पहले से जमे हुए ब्लास्टोसिस्ट (frozen blastocyst) को भी स्थानांतरित किया जाता है। इस पद्धति को फ्रोजन ब्लास्टोसिस्ट स्थानांतरण (frozen blastocyst transfer) कहा जाता है और यह उन महिलाओं के लिए फायदेमंद होता है जो अगली गर्भावस्था की योजना बाद में बनाना चाहती हैं। जो दंपत्ति उपचार के सर्वोत्तम समय की तलाश कर रहे हैं, वे डॉक्टर से यह पूछ सकते हैं कि भ्रूण स्थानांतरण का सर्वोत्तम दिन (best day for embryo transfer) कौन सा होगा।

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के फायदे (Benefits of Blastocyst Transfer)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (blastocyst transfer) आजकल अधिकतर आईवीएफ क्लीनिकों द्वारा प्राथमिकता से अपनाया जा रहा है क्योंकि इससे गर्भधारण की सफलता दर (success rate) अधिक पाई जाती है। जब भ्रूण अधिक परिपक्व अवस्था यानी पांचवें या छठे दिन में पहुँचता है, तब उसमें आरोपण (implantation) की संभावना अधिक होती है।

इस तकनीक का सबसे बड़ा लाभ यह है कि डॉक्टर केवल उन्हीं भ्रूणों का चयन कर सकते हैं जो स्वाभाविक रूप से बेहतर और सक्षम होते हैं। इससे एकल भ्रूण स्थानांतरण (single embryo transfer) संभव होता है, जिससे जुड़वां या अधिक गर्भ (multiple pregnancy) का खतरा कम हो जाता है।

यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए मददगार है जो पहले कई बार असफल आईवीएफ का अनुभव कर चुके हैं। इसके अलावा, ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर से श्रेष्ठ गुणवत्ता वाले भ्रूण (high quality embryo) को पहचानने में आसानी होती है।

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के नुकसान (Limitations of Blastocyst Transfer)

जहां ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के कई फायदे हैं, वहीं कुछ सीमाएं भी हैं जिन्हें समझना ज़रूरी है। सबसे पहले, हर भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट अवस्था तक नहीं पहुंच पाता। यदि किसी दंपत्ति के पास सीमित अंडाणु या भ्रूण हैं, तो इस प्रक्रिया में सभी भ्रूण नष्ट भी हो सकते हैं।

इसके अलावा, ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर की प्रक्रिया थोड़ी अधिक जटिल और महंगी हो सकती है, क्योंकि इसमें भ्रूण को लंबे समय तक विशेष लैब वातावरण में विकसित करना पड़ता है। ऐसे में जिन रोगियों की उम्र अधिक हो या जिनकी अंडाणु गुणवत्ता कमज़ोर हो, उनके लिए यह प्रक्रिया कभी-कभी जोखिमपूर्ण हो सकती है। फिर भी, डॉक्टर हर केस का मूल्यांकन कर यह तय करते हैं कि यह तकनीक उस दंपत्ति के लिए उपयुक्त है या नहीं। इसीलिए यह ज़रूरी है कि आप अपने डॉक्टर से स्पष्ट रूप से चर्चा करें।

क्या ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर हर किसी के लिए सही है? (Is Blastocyst Transfer Right for Everyone)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर (blastocyst transfer) एक उन्नत तकनीक है, लेकिन यह हर दंपत्ति के लिए उपयुक्त नहीं होती। यह पद्धति उन रोगियों के लिए अधिक सफल मानी जाती है जिनकी अंडाणु गुणवत्ता अच्छी होती है (good egg quality), आयु 35 वर्ष से कम होती है, और जिनके पास कई भ्रूण होते हैं। इस अवस्था तक केवल वही भ्रूण पहुंचते हैं जो शुरुआत से ही मजबूत और विकासशील होते हैं।

हालांकि, जिन महिलाओं की अंडाणु रिज़र्व कम है (low ovarian reserve) या जिनके भ्रूण पहले ही दिनों में रुक जाते हैं, उनके लिए तीसरे दिन का भ्रूण स्थानांतरण (day 3 embryo transfer) अधिक उपयुक्त हो सकता है।

डॉक्टर प्रत्येक रोगी की स्थिति, पूर्व IVF अनुभव, हार्मोनल स्तर और भ्रूण की संख्या को ध्यान में रखकर निर्णय लेते हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि रोगी अपने फर्टिलिटी विशेषज्ञ से इस बारे में विस्तार से चर्चा करें।

ब्लास्टोसिस्ट कैसे फ्रीज़ किया जाता है? (How is Blastocyst Frozen)

जब IVF प्रक्रिया में कई स्वस्थ ब्लास्टोसिस्ट बनते हैं, तो उन्हें भविष्य के उपयोग के लिए संरक्षित किया जा सकता है। इस प्रक्रिया को ब्लास्टोसिस्ट फ्रीज़िंग (blastocyst freezing) या क्रायोप्रीजर्वेशन (cryopreservation) कहा जाता है। इसमें ब्लास्टोसिस्ट को बहुत कम तापमान पर जमा दिया जाता है ताकि उनकी गुणवत्ता बनी रहे।

इस तकनीक का उपयोग विशेष रूप से तब किया जाता है जब वर्तमान चक्र में सभी ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर न किए जा सकें, या जब महिला आगे गर्भधारण की योजना बनाना चाहती हो। यह विधि सुरक्षित मानी जाती है और गर्भधारण की संभावनाओं को लंबे समय तक बनाए रखती है।

फ्रीज़ किए गए ब्लास्टोसिस्ट को बाद में डीफ्रॉस्ट कर गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाता है, जिसे फ्रोजन एम्ब्रायो ट्रांसफर (frozen embryo transfer) कहा जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन दंपत्तियों के लिए लाभदायक होती है जो समय और मानसिक तैयारी के साथ गर्भधारण की योजना बनाना चाहते हैं।

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के बाद क्या होता है? (What Happens After Blastocyst Transfer)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के बाद महिला के शरीर में भ्रूण आरोपण (implantation) की प्रक्रिया शुरू होती है। यह एक अत्यंत संवेदनशील समय होता है और इस दौरान शरीर में हार्मोनल बदलाव (hormonal changes) होने लगते हैं। आमतौर पर ट्रांसफर के 24 से 72 घंटों के भीतर ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय की भीतरी परत (uterine lining) से जुड़ने की कोशिश करता है।

कुछ महिलाओं को हल्का रक्तस्राव (spotting), पेट में ऐंठन (cramping), थकान या हल्की छाती में संवेदनशीलता (breast tenderness) महसूस हो सकती है। हालांकि, इन लक्षणों का होना या न होना गर्भधारण (pregnancy) के संकेत के रूप में पक्के तौर पर नहीं देखा जा सकता।

इस समय आराम, पोषण और मानसिक शांति बहुत महत्वपूर्ण होती है। डॉक्टर अक्सर 9–12 दिन बाद रक्त परीक्षण (Beta hCG test) के जरिए गर्भधारण की पुष्टि करते हैं।

ब्लास्टोसिस्ट इम्प्लांटेशन कब होता है? (When Does Blastocyst Implantation Happen)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के बाद भ्रूण आमतौर पर एक से तीन दिनों के भीतर गर्भाशय में चिपकने की प्रक्रिया (implantation) शुरू करता है। उदाहरण के तौर पर, यदि ट्रांसफर पांचवें दिन किया गया है, तो छहवें या सातवें दिन तक आरोपण की प्रक्रिया पूरी हो सकती है।

इस चरण में ब्लास्टोसिस्ट गर्भाशय की भीतरी परत में प्रवेश करता है और वहां स्थायी रूप से जुड़ने लगता है। यह वह समय होता है जब भ्रूण मां के रक्त प्रवाह से जुड़ना शुरू करता है, जिससे गर्भधारण की शुरुआत होती है।

इस प्रक्रिया में हार्मोन प्रोजेस्टेरोन (progesterone) की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है, जो गर्भाशय की परत को मोटा और नरम बनाकर भ्रूण के लिए अनुकूल वातावरण बनाता है।

यह समय पूरी तरह शरीर की प्रतिक्रिया पर निर्भर करता है, और इसलिए डॉक्टर नियमित निगरानी और जांच की सलाह देते हैं।

ब्लास्टोसिस्ट की सफलता दर (Blastocyst Success Rate)

ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर की सफलता दर (success rate) सामान्यतः पारंपरिक डे-3 भ्रूण ट्रांसफर की तुलना में अधिक होती है। ऐसा इसलिए क्योंकि केवल वही भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट अवस्था तक पहुंचते हैं जो स्वाभाविक रूप से स्वस्थ और सक्षम होते हैं। इससे गर्भाशय में आरोपण (implantation) की संभावना काफी बढ़ जाती है। अध्ययनों के अनुसार, 35 वर्ष से कम आयु की महिलाओं में ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर से गर्भधारण की सफलता दर 50% से 60% तक हो सकती है। वहीं 35 से 40 वर्ष की महिलाओं में यह दर लगभग 40% तक देखी गई है। यदि फ्रोजन ब्लास्टोसिस्ट (frozen blastocyst) का ट्रांसफर किया जाए, तब भी सफलता दर काफी संतोषजनक होती है, खासकर तब जब गर्भाशय की स्थिति अनुकूल हो।

इसके बावजूद, परिणाम हर व्यक्ति की मेडिकल स्थिति, हार्मोनल प्रोफाइल और जीवनशैली पर निर्भर करते हैं। इसलिए व्यक्तिगत परामर्श और उपयुक्त उपचार योजना सफलता की कुंजी होती है।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्र. 1: क्या हर भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट बन सकता है?

उत्तर: नहीं, हर भ्रूण ब्लास्टोसिस्ट अवस्था तक नहीं पहुंचता। केवल स्वस्थ और विकासशील भ्रूण ही इस स्तर तक पहुंच पाते हैं। यही कारण है कि ब्लास्टोसिस्ट चयन प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है (blastocyst selection).

प्र. 2: ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर के कितने दिन बाद प्रेग्नेंसी टेस्ट करना चाहिए?

उत्तर: सामान्यतः ट्रांसफर के 9 से 12 दिन बाद रक्त परीक्षण (Beta hCG test) कराया जाता है।

प्र. 3: क्या ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर से जुड़वां बच्चे हो सकते हैं?

उत्तर: यदि दो ब्लास्टोसिस्ट एक साथ ट्रांसफर किए जाएं तो जुड़वां गर्भ की संभावना बढ़ जाती है। लेकिन एकल भ्रूण ट्रांसफर (single embryo transfer) से यह जोखिम कम होता है।

प्र. 4: क्या ब्लास्टोसिस्ट ट्रांसफर की लागत अधिक होती है?

उत्तर: हां, क्योंकि इसमें लैब में भ्रूण को अधिक समय तक विकसित किया जाता है, इसलिए इसकी लागत सामान्य ट्रांसफर से थोड़ी अधिक हो सकती है (blastocyst transfer cost)।

Disclaimer

As per the "PCPNDT" (Regulation and Prevention of Misuse) Act, 1994, Gender Selection and Determination is strictly prohibited and is a criminal offense. Our centers strictly do not determine the sex of the fetus. The content is for informational and educational purposes only. Treatment of patients varies based on his/her medical condition. Always consult with your doctor for any treatment.

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