What is the PCOD Problem?
पीसीओडी का मतलब होता है पॉलीसिस्टिक ओवरियन डिसीज़। polycystic ovarian disease. यह समस्या महिलाओं के अंदर आम तौर पर हार्मोन के असंतुलन की वजह से होती है। इस समस्या में महिला के अंदर एंड्रोजन (मेल हार्मोन) का स्तर बढ़ जाता है और ओवरी पर सिस्ट बनना शुरू हो जाती है। आमतौर पर मनुष्य में शरीर की सारी प्रक्रियाओं के सही से काम करने के लिए मेल और फ़ीमेल दोनों हार्मोन्स की जरूरत होती है। लेकिन पीसीओडी से पीड़ित महिला में पुरुष के हार्मोन की मात्रा सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। जिसकी वजह से अंडाशय में दिक्कतें होने लगती हैं और इसके साथ ही अनियमित पीरियड्स की परेशानी भी हो सकती है।
पीसीओडी का महिला के शरीर पर प्रभाव – Effects of PCOD on women’s body
प्रजनन एवं गर्भावस्था में जटिलता – Complications in fertility and pregnancy
बांझपन का प्रमुख कारण महिलाओं में हार्मोन का असंतुलन है। पोलिमेनोरिया और सामान्य गर्भाशय रक्त के डिस्चार्ज होने का ही एक रूप है। यह उस समय होता है जब पीरियड साइकल 21 दिन से कम का हो। एक मेन्स्ट्रुअल साइकल सामान्य तौर पर 24 से 38 दिन की होती है। कुछ महिलाओं के लिए साइकल की लंबाई आम हो सकती है लेकिन कुछ एक के लिए यह मेडिकल परिस्थितियों जैसे पीसीओडी/पीसीओएस की वजह से हो सकती है जिससे गर्भावस्था पर असर पड़ सकता है।
मेटाबॉलिक सिंड्रोम – Metabolic syndrome
पीसीओडी का अगर इलाज ना किया जाए तो यह दीर्घकालिक स्वास्थ्य परेशानियों जैसे डायबिटीज, ब्लड शुगर लेवल, हाई कोलेस्ट्रॉल, लो कोलेस्ट्रॉल, एवं हृदय रोग का खतरा बढ़ा सकता है।
स्लीप एपनिया – Sleep apnea
यह एक नींद में होने वाला विकार है जिसमें रात के समय सांस लेने में बार-बार परेशानी होती है। यह अधिकतर उन महिलाओं में सामान्य है जिनका वजन अधिक है और जिन्हें पीसीओएस की परेशानी भी है। पीसीओएस की परेशानी वाली महिलाओं में इसका खतरा ज्यादा होता है।
मनोरोग – Psychiatry
पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम यानी कि पीसीओएस से ग्रस्त महिलाओं में मनोरोग की समस्या आम तौर पर देखी गई है। हार्मोन के बदलाव और अनचाहे बालों का आना और वजन बढ़ने जैसे कई लक्षण महिलाओं की मानसिक स्थिति को नकारात्मक रूप से काफी प्रभावित करती है।
अंतर्गर्भाशय कैंसर – Intrauterine cancer
ओव्यूलेशन की कमी गर्भाशय के स्तर को हर एक मेन्स्ट्रुअल के समय बहने से रोकती है। पीसीओडी से ग्रस्त महिलाओं को साल में नौ पीरियड्स कम आते हैं जिससे कि गर्भाशय की मोटी परत काफी बढ़ सकती है। इस वजह से एंडोमेट्रियल हाइपरप्लासिया और एंडोमेट्रियल कैंसर भी हो सकता है।
पीसीओडी की जांच – PCOD Test
किसी भी एक टेस्ट से एक डॉक्टर पीसीओडी की समस्या का पता नहीं लगा सकता है। ऐसे में डॉक्टर को कई तरह के टेस्ट करवाने पड़ते हैं और उसके अलावा महिला से लक्षण जानने की भी कोशिश की जाती है। आइए जानते हैं कि किस तरह से डॉक्टर महिला के अंदर पीसीओडी की समस्या के बारे में पता लगाते हैं:
शारीरिक जांच – Physical examination
इसमें डॉक्टर आपके बीएमआई, कमर के आकार और ब्लड प्रेशर की जांच करता है। साथ ही वह अनचाही जगहों पर बालों का आना और आपकी त्वचा पर मुहांसों की भी जांच कर सकता है।
पेल्विक जांच – Pelvic examination
इसमें डॉक्टर नॉर्मल जांच करते हैं। वह गर्भाशय ग्रीवा, योनि, गर्भाशय फैलोपियन ट्यूब एवं अंडाशय जैसी जगह पर किसी भी असामान्य चीज की जांच करते हैं।
पेल्विक अल्ट्रासाउंड (सोनोग्राम) – Pelvic ultrasound (sonogram)
डॉक्टर आपके अंडाशय में गर्भाशय की परत और सिस्ट की जांच करने के लिए अल्ट्रासाउंड कर सकते हैं। यदि आपके पीरियड नहीं हो रहे हैं तो आपके गर्भाशय की परत सामान्य से ज्यादा मोटी हो सकती है। पीसीओडी की समस्या में 1.5 से 3 गुना बड़े भी हो सकते हैं।
पीसीओडी के लिए प्राकृतिक उपचार – Natural Remedies for PCOD
हेल्दी नाश्ता करें – Have a healthy breakfast
पीसीओडी का उपचार करने के लिए आप अपने ब्रेकफास्ट में जरूरी बदलाव कर सकते हैं। अपने खाने में प्रोटीन और फैट शामिल करें। इस बात को पक्का करें कि आपका ब्लड शुगर लेवल एकदम स्थिर होना चाहिए, इसके लिए आपको उठने के बाद जल्द से जल्द नाश्ता करना चाहिए। कुछ पत्तेदार हरी सब्जियों को अपने खाने में शामिल करें क्योंकि इसमें काफी पोषक तत्व शामिल होते हैं।
कैफ़ीन से रहें दूर – Stay away from caffeine
कैफ़ीन का लगातार सेवन करने से आपका स्वास्थ्य और ब्लड प्रेशर का स्तर प्रभावित हो सकता है जिसकी वजह से पीसीओएस आपके लिए एक बड़ी समस्या बन सकती है। इसकी जगह ग्रीन टी या फिर हर्बल टी लें जोकि इन्सुलिन रेजिस्टेंस को बेहतर करने में मदद करती है। पीसीओडी के इलाज के लिए यह एक अच्छा विकल्प है।
व्यायाम करें – Exercise
सही वजन बनाए रखने के लिए नियमित रूप से व्यायाम करने को सबसे कारगर माना जाता है। लेकिन ध्यान रहे कि व्यायाम संतुलित तौर पर ही करें। जरूरत से ज्यादा व्यायाम करने से हार्मोन का असंतुलन हो सकता है। डॉक्टर के द्वारा एरोबिक्स, योग, तैराकी, कुछ व्यायाम करने की सलाह दी जाती है।
विटामिन डी का सेवन करें – Take vitamin d
जिन महिलाओं को पीसीओडी की समस्या होती है उनमें अधिकतर विटामिन डी की कमी देखी जाती है। विटामिन डी को अपने रूटीन में सम्मिलित करने से कई प्रकार की समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
अगर आप भी पीसीओडी की समस्या से जूझ रहे हैं तो आपको क्रिस्टा आईवीएफ के पास आने की सलाह दी जाती है। इस हेल्थ केयर सेंटर में पीसीओडी का इलाज संभव है क्योंकि यहाँ पर्याप्त संख्या में स्त्री रोग विशेषज्ञ हैं जो अपने पेशंट को बेहतरीन इलाज देने के लिए जाने जाते हैं। डॉक्टर जानते हैं कि एक दंपति का माता-पिता बनने का सपना कितना बड़ा होता है इसलिए यह सबसे पहले पेशंट की बात को आराम से सुनते हैं और उनकी समस्या को समझते हैं। उसके बाद ही स्त्री रोग विशेषज्ञ नवीनतम मशीन की सहायता से इलाज शुरू करते हैं।