प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए स्वस्थ आहार क्या है?

प्रजनन क्षमता में सुधार के लिए स्वस्थ आहार क्या है, healthy diet to improve fertility

What is a healthy diet to improve fertility?

एक खुशहाल और बेहतर जीवन का आधार है अच्छा स्वास्थ्य। अच्छा स्वास्थ्य आपके जीवनयापन के लिए बेहद आवश्यक है। आपके रोज़मर्रा के काम जैसे घर और ऑफिस के काम के साथ-साथ आपके सम्पूर्ण व्यक्तित्व को निखारने में स्वास्थ्य का अच्छा होना बहुत जरूरी है। ज़िंदगी के कई पड़ावों में जैसे कि माता-पिता बनने में बेहतर स्वास्थ्य अहम भूमिका निभाता है। अपने जीवन में इस सुख को पाने के लिए यह जरूरी है कि एक महिला का प्रजनन तंत्र बेहतर हो। एक महिला के शारीरिक स्वास्थ्य का उनकी प्रजनन क्षमता पर सीधे-सीधे असर पड़ता है। एक स्वस्थ शिशु के लिए उसे जन्म देने वाली माँ का स्वस्थ होना बहुत जरूरी है।

हमारा स्वास्थ्य हमारी दिनचर्या के साथ-साथ हमारे खान-पान का भी आईना होता है। पौष्टिक खान-पान आपके स्वास्थ्य को दुरुस्त बनाए रखने के लिए जरूरी है और जब बात हो माँ बनने की तो संतुलित आहार लेना और भी जरूरी हो जाता है।

ऐसी महिलाओं को जो माँ बनने वाली हैं या माँ बनने की कोशिश कर रही है या फिर किसी वजह से माँ नहीं बन पा रही हैं, इन सभी स्थितियों में डॉक्टर दवाओं के साथ-साथ संतुलित खान-पान का भी सुझाव देते हैं। आइये जानते हैं इस लेख में कि प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने के लिए स्वस्थ आहार में क्या- शामिल करना चाहिए।

आहार में क्या करें शामिल? (What to include in the diet?)

एक संतुलित आहार में विटामिन, प्रोटीन, ज़िंक, कैल्शियम, वसा और फाइबर शामिल होते हैं लेकिन गर्भधारण के समय एक महिला को अपने खान-पान पर बहुत ज्यादा ध्यान देने की जरूरत होती है। इस दौरान एक महिला जो भी खाती है उसका सीधा असर उसकी प्रजनन क्षमता पर पड़ता है और जो महिलाएँ गर्भधारण कर चुकी होती हैं उनके खान-पान का असर सीधे-सीधे गर्भ में पल रहे शिशु पर पड़ता है। एक गर्भवती महिला के आहार में विटामिन, खनिज, फोलिक एसिड, आयरन की उचित मात्रा का होना भी जरूरी है।

आइये जानते हैं उन पोषक तत्वों के बारे में जो एक महिला की प्रजनन क्षमता को बेहतर बनाने में मदद करते हैं:-

कैल्शियम (Calcium):

जैसा कि हम सभी जानते हैं कि कैल्शियम हमारी हड्डियों और दाँतों के लिए बहुत जरूरी हैं। गर्भावस्था या गर्भ धारण के लिए एक महिला को खुद को तैयार करने के लिए भी कैल्शियम एक जरूरी पोषक तत्व है। यह माँ के गर्भ में पल रहे शिशु की हड्डियों को विकसित करने में मदद करता है और इसके साथ-साथ मांसपेशियों, दिल और नसों के विकास में भी अहम भूमिका निभाता है। अगर एक गर्भवती महिला अपने खान-पान में पर्याप्त कैल्शियम नहीं लेती है तो शिशु गर्भ में अपनी जरूरत पूरी करने के लिए माँ के शरीर में पहले से जमा कैल्शियम का इस्तेमाल करने लगता है।

प्रोटीन (Protein):

गर्भावस्था के दौरान प्रोटीन की कमी गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। गर्भावस्था के दौरान यूट्रस के टिशू के विकास के लिए प्रोटीन बहत जरूरी है। गर्भावस्था के समय एक महिला को प्रतिदिन 75 से 100 ग्राम प्रोटीन लेना चाहिए। अपनी प्रतिदिन प्रोटीन की खुराक को पूरा करने के लिए एक गर्भवती महिला को मांस, मछली, अंडे, बीन्स, नट्स और बीज जैसे आहार का सेवन करना चाहिए।

फाइबर (Fibre):

हमारे शरीर में हार्मोन का असंतुलन कई बीमारियों का कारण बन सकता है और गर्भावस्था के दौरान जब एक महिला के शरीर में हार्मोन से जुड़े कई बदलाव हो रहे होते हैं उन्हें नियंत्रित करना बेहद जरूरी हो जाता है। फाइबर हमारे शरीर में हार्मोन का संतुलन बनाए रखने के लिए जरूरी है। अनाज, फल, सब्जियाँ और बीन्स फाइबर के अच्छे स्रोत हैं जिन्हें एक गर्भवती महिला को अपने आहार में जरूर शामिल करना चाहिए।

ज़िंक (Zinc):

एक गर्भवती महिला की रोग-प्रतिरोधक क्षमता का मजबूत होना बहुत जरूरी है। ज़िंक हमारे शरीर में इसी क्षमता को मजबूत करने का काम करता है और गर्भावस्था के दौरान तो यह तत्व और भी अहम हो जाता है। यह पोषक तत्व महिलाओं को वायरल फ़ीवर और गर्भ में होने वाले इन्फेक्शन से बचाने में भी अहम भूमिका निभाता है। इस अवस्था के समय महिलाओं को प्रतिदिन लगभग 15 मिलीग्राम ज़िंक अपने आहार में शामिल करना चाहिए।

आहार व पोषण विशेषज्ञ से करें परामर्श (Consult a dietician and nutritionist):

हर व्यक्ति का शरीर अलग होता है और उनके स्वास्थ्य से जुड़ी उनकी जरूरतें भी। उपरोक्त तत्वों को अपने आहार में शामिल करने के साथ-साथ यह जरूरी है कि गर्भवती महिलाएँ अपने खान-पान के संबंध में आहार व पोषण विशेषज्ञ से परामर्श जरूर लें। परामर्श के दौरान एक गर्भवती महिला को डॉक्टर को अपनी आहार की आदतों के बारे में खुलकर बताना चाहिए। अगर महिला को किसी चीज़ से एलर्जी हो तो उसके बारे में भी डॉक्टर को पहले से बता देना चाहिए। अपनी मेडिकल हिस्ट्री के बारे में भी पहले ही बता देना आपके डॉक्टर को आपके लिए सही डाइट प्लान बनाने में मदद करेगा।

व्यायाम भी है जरूरी (Exercise is also important):

गर्भावस्था के दौरान जितना जरूरी पोषक आहार और आराम है उतना ही जरूरी है व्यायाम। हमारी बेहतर जीवन शैली में भोजन और व्यायाम दोनों की खास भूमिका होती है। गर्भावस्था की शुरुआत से ही एक महिला को अपनी जीवनशैली में कुछ सुधार कर लेने चाहिए ताकि वो अपने माँ बनने के सफर का आनंद ले सकें।

शारीरिक स्वास्थ्य से जुड़ी कुछ स्वस्थ आदते (Some healthy habits related to physical health):

गर्भावस्था के दौरान महिलाओं की हर आदत और काम का सीधा असर गर्भ में पल रहे बच्चे पर पड़ता है। ऐसे में खान-पान से जुड़ी छोटी-छोटी आदतों पर भी ध्यान देना बहुत जरूरी है, जैसे कि: –

  1. आहार में फलों को शामिल करें। संतरा, कीवी, स्ट्रॉबेरी जैसे विटामिन से भरपूर फलों का इस्तेमाल करना चाहिए।
  2. हरी और पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए क्योंकि इनमें आयरन, एंटिऑक्सीडेंट और फॉलिक एसिड पाए जाते हैं जो एक गर्भवती महिला के लिए बेहद जरूरी है।
  3. भरपूर मात्रा में पानी पीना भी बेहद जरूरी है।
  4. ओमेगा-3 भी गर्भवती महिलाओं के लिए बेहद ही जरूरी तत्व है। इसके लिए महिलाओं को मछली, अखरोट और बादाम का सेवन करना चाहिए।
  5. गर्भावस्था के दौरान या गर्भधारण की कोशिश के समय यह जरूरी है कि एक महिला बाज़ार में उपलब्ध फ़ास्ट-फूड, प्रोसेस्ड फूड, कोल्ड ड्रिंक, सोडा जैसी चीजों से दूरी बनाए रखें और एल्कोहल और धूम्रपान जैसी आदतों को छोड़ दें।

अगर कोई महिला माँ बनने का प्रयास कर रही है लेकिन सफल नहीं हो पा रही है या फिर गर्भावस्था के दौरान किसी दिक्कत का सामना कर रही है तो हो सकता है कि इसका कारण आपकी अस्वस्थ जीवनशैली हो। ऐसे में क्रिस्टा आईवीएफ़ आपकी मदद के लिए आपको विशेष उपचार देता है। क्रिस्टा आईवीएफ़ की प्रजनन विशेषज्ञों की टीम में आपको आपकी डाइट के बारे में सलाह देने के लिए प्रोफेशनल्स मौजूद हैं, जो आपको आपके स्वास्थ्य और जरूरत के हिसाब से डाइट प्लान देंगे ताकि आपको आपके माँ बनने के इस यादगार सफर में किसी तरह की परेशानी का सामना नहीं करना पड़े।

Ritish Sharma

Ritish Sharma is a professional healthcare writer who has a good understanding of medical research and trends. He has expertise in clearly communicating complex medical information in an easy-to-understand manner. His writing helps people make informed decisions about their health and take control of their well-being.