बार-बार आईयूआई फेल हो रहा है? जानिए इसके मुख्य कारण

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Mahima Nigam

May 12, 2025

Last Edit Made By Mahima Nigam

May 19, 2025

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आईयूआई (Intrauterine Insemination) एक सरल, सुरक्षित और कम-इनवेसिव प्रजनन उपचार है, जो उन दंपतियों के लिए फर्स्ट-लाइन ट्रीटमेंट के रूप में सुझाया जाता है, जो गर्भधारण की समस्या या महिला बांझपन/पुरुष बांझपन से जूझ रहे हैं। यह प्रक्रिया IVF से कम जटिल है और बिना एनेस्थीसिया के क्लिनिक में ही की जाती है। इसमें पुरुष के शुक्राणु (Sperm) को धोकर, केंद्रित किया जाता है और फिर उन्हें महिला के गर्भाशय (Uterus) में सीधा डाला जाता है। यह तकनीक इसलिए प्रभावी मानी जाती है क्योंकि यह शुक्राणुओं को सीधे अंडाणु (Egg) के पास ले जाती है, जिससे निषेचन (Fertilization) की संभावना बढ़ जाती है और कई दंपतियों के लिए यह कम तनावपूर्ण व किफायती विकल्प होता है।

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यह प्रक्रिया खासतौर पर तब सुझाई जाती है जब:

  • महिला बांझपन हल्के स्तर पर हो और ओवुलेशन अनियमित हो।
  • पुरुष में शुक्राणु की गुणवत्ता (मॉर्फोलॉजी) या गतिशीलता (motility) में हल्की कमी हो, लेकिन टोटल मोटाइल काउंट 5 मिलियन से अधिक हो।
  • अंडोत्सर्जन में समस्या हो लेकिन महिला की ओवरी ठीक से काम कर रही हो और FSH/AMH लेवल नॉर्मल हों।
  • दंपति अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी से गुजर रहे हों, यानी सभी टेस्ट नॉर्मल होते हुए भी गर्भधारण नहीं हो रहा हो।
  • महिला की फैलोपियन ट्यूब खुली और कार्यरत हों (सोनोग्राफी या HSG द्वारा कन्फर्म)।
  • महिला की उम्र 35 से कम हो, क्योंकि 35+ में सफलता दर कम हो जाती है।
  • यह भी पढ़ें: कमजोर शुक्राणु? जानें लक्षण, कारण और वीर्य बढ़ाने के अचूक उपाय!

    प्रक्रिया कैसे होती है:

    IUI से पहले महिला के अंडोत्सर्जन (Ovulation) को अल्ट्रासाउंड और ब्लड टेस्ट के ज़रिए मॉनिटर किया जाता है। कई बार हार्मोनल दवाइयाँ देकर अंडाणु का विकास और समय तय किया जाता है। पुरुष के स्पर्म को लैब में प्रोसेस किया जाता है, जिसमें खराब या निष्क्रिय शुक्राणुओं को हटा कर केवल स्वस्थ और गतिशील शुक्राणुओं को चुना जाता है। फिर इन्हें एक पतली कैथेटर से महिला के यूटेरस की lining के पास डाला जाता है। इससे इंप्लांटेशन फेल होने के लक्षण कम हो सकते हैं क्योंकि स्पर्म को लंबी दूरी तय नहीं करनी पड़ती।

    आईयूआई ट्रीटमेंट एक किफायती, कम रिस्क और भावनात्मक रूप से भी सहज प्रक्रिया होती है। यह उन दंपतियों के लिए खासतौर पर उपयुक्त है जो IVF जैसे महंगे और जटिल इलाज से पहले एक प्राकृतिक विकल्प आज़माना चाहते हैं। यदि महिला में हार्मोन संतुलन है, ओवरी हेल्थ अच्छी है, और ट्यूब्स खुले हैं, तो आईयूआई से गर्भधारण की संभावनाएं काफी हद तक बढ़ सकती हैं। हालांकि यह जरूरी है कि यह प्रक्रिया विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में ही की जाए और हर चक्र के बाद निगरानी रखी जाए।

    आईयूआई की सफलता दर (IUI Ki Safalta Dar)

    आईयूआई की सफलता दर को जानना उन दंपतियों के लिए बेहद जरूरी है जो पहली बार इस प्रक्रिया को अपनाने की सोच रहे हैं। सफलता की दर केवल प्रक्रिया पर ही नहीं, बल्कि महिला और पुरुष दोनों के शारीरिक स्वास्थ्य, उम्र, हार्मोन संतुलन, और उपचार के समय पर भी निर्भर करती है। अक्सर लोगों को यह भ्रम होता है कि यह प्रक्रिया IVF जितनी प्रभावशाली है, जबकि सच्चाई यह है कि आईयूआई ट्रीटमेंट अपेक्षाकृत कम प्रभावी लेकिन कम जटिल और कम खर्चीला होता है। यह उन लोगों के लिए एक शुरुआती कदम है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। इसके ज़रिए यह भी आकलन किया जा सकता है कि आगे चलकर IVF की जरूरत पड़ेगी या नहीं। इसलिए आईयूआई की सफलता दर को समझना निर्णय लेने में सहायक होता है।

    यह भी पढ़ें:आईवीएफ और आईयूआई में क्या अंतर है?

    प्रमुख कारक जो सफलता दर को प्रभावित करते हैं:

    • महिला की उम्र:
    • उम्र जितनी कम होती है, सफलता की संभावना उतनी अधिक होती है।

      • 25 वर्ष से कम: आईयूआई की सफलता दर 15–20% प्रति चक्र
      • 25–35 वर्ष: 10–15%
      • 35–40 वर्ष: 8–10%
      • 40+ वर्ष: 5% से भी कम

      इसके अलावा, 35 की उम्र के बाद आईयूआई फेल होने के कारण तेजी से बढ़ जाते हैं।

    • अंडाणु की संख्या और गुणवत्ता:
    • कम या कमज़ोर अंडाणु की संख्या आईयूआई की सफलता को कम कर देती है। उम्र और तनाव भी अंडाणु की क्वालिटी पर असर डालते हैं।

    • शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या:
    • यदि IUI के लिए शुक्राणुओं की संख्या 5 मिलियन से कम है, या उनकी गतिशीलता खराब है, तो निषेचन की संभावना कम हो जाती है।

    • यूटेरस की lining की मोटाई:
    • पतली या असमान यूटेरस की lining के कारण इंप्लांटेशन फेल होने के लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जिससे प्रक्रिया निष्फल हो जाती है

    • हार्मोन संतुलन:
    • FSH, LH, और प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन का संतुलन सही होना बेहद आवश्यक है ताकि अंडोत्सर्जन और इंप्लांटेशन समय पर हो सके।

    • संक्रमण या यौन रोग (जैसे एंडोमेट्रियोसिस):
    • ये स्थितियाँ गर्भाशय को नुकसान पहुंचाकर गर्भधारण को रोक सकती हैं। कई बार यह एक छुपी हुई वजह होती है जो सामने नहीं आती।

    आईयूआई कितनी बार करना चाहिए?

विशेषज्ञ आमतौर पर 3–6 चक्र तक आईयूआई ट्रीटमेंट ट्राई करने की सलाह देते हैं। यदि इन प्रयासों में सफलता नहीं मिलती, तो IVF जैसे एडवांस विकल्प को अपनाने की जरूरत पड़ सकती है।

हालांकि आईयूआई में 100% सफलता की गारंटी नहीं है, फिर भी यह उन कपल्स के लिए एक अच्छा पहला विकल्प होता है जो जटिल प्रक्रियाओं में जाने से पहले प्राकृतिक विकल्प अपनाना चाहते हैं। सफलता की उम्मीद रखने के लिए महिला की उम्र 35 से कम होनी चाहिए, हार्मोन बैलेंस सही होना चाहिए और ओवरी हेल्थ अच्छी होनी चाहिए। साथ ही, पुरुष में भी शुक्राणु की गुणवत्ता और संख्या पर्याप्त होनी चाहिए। यदि लगातार 3–4 प्रयासों के बाद भी आईयूआई फेल होने के कारण स्पष्ट नहीं हो रहे हैं, तो डिटेल इन्वेस्टिगेशन की जरूरत है। डॉक्टर की मदद से यह जानना आसान हो जाता है कि अगला कदम क्या हो। इसलिए हर आईयूआई चक्र को अनुभव और डेटा के रूप में लेना चाहिए, जिससे अगली रणनीति अधिक स्मार्ट और सफलता की ओर बढ़ने वाली हो।

आईयूआई असफल क्यों होता है? (IUI Fail Kyun Hota Hai)

आईयूआई फेल होने के कारण केवल एक कारक पर निर्भर नहीं करते, बल्कि यह कई शारीरिक, हार्मोनल और चिकित्सीय स्थितियों के जटिल मेल का नतीजा हो सकता है। कुछ मामलों में आईयूआई का फेल होना बेहद स्पष्ट होता है, जैसे कि खराब अंडाणु या शुक्राणु की क्वालिटी, लेकिन कई बार यह कारण छुपे हुए होते हैं—जैसे यूटेरस की lining की स्थिति, हार्मोन संतुलन, या शरीर का प्रतिक्रिया ना देना। इसके अलावा, तनाव, खराब जीवनशैली और सही समय पर अंडोत्सर्जन की निगरानी न करना भी इसमें बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। इसलिए हर असफल IUI चक्र को सिर्फ “नसीब” का नाम न दें, बल्कि इसमें छिपे आईयूआई ट्रीटमेंट फेल होने के कारण को समझने की कोशिश करें।

आईयूआई फेल होने के मुख्य कारण

    उम्र का प्रभाव:

    35 की उम्र के बाद महिलाओं में अंडाणु की संख्या और क्वालिटी में गिरावट आना शुरू हो जाती है, जिससे आईयूआई की सफलता दर तेजी से घटती है। उम्र का असर ओवरी रिज़र्व और हार्मोन पर भी पड़ता है।

    अंडोत्सर्जन में समस्या:

    अगर सही समय पर अंडोत्सर्जन नहीं हुआ, तो स्पर्म और एग का मिलन नहीं हो पाता। यह सबसे आम आईयूआई फेल होने के कारण में से एक है।

    शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी:

    स्पर्म की गति, संख्या और आकार (morphology)—तीनों ही फर्टिलिटी में अहम भूमिका निभाते हैं। कमजोर स्पर्म निषेचन नहीं कर पाते।

    हार्मोन संतुलन बिगड़ना:

    यदि FSH, LH, या प्रोजेस्टेरोन जैसे हार्मोन संतुलन में नहीं हैं, तो अंडोत्सर्जन और इंप्लांटेशन प्रभावित हो सकता है।

    यूटेरस की lining की समस्या:

    यदि lining बहुत पतली है या समय पर तैयार नहीं होती, तो इंप्लांटेशन फेल होने के लक्षण देखे जा सकते हैं।

    संक्रमण, एंडोमेट्रियोसिस या ट्यूबल ब्लॉकेज:

    ये मेडिकल कंडीशन्स गर्भाशय या ट्यूब्स की कार्यप्रणाली को प्रभावित करती हैं, जिससे निषेचन असंभव हो जाता है।

    गलत टाइमिंग:

    IUI को ओवुलेशन के 6–12 घंटे के भीतर किया जाना चाहिए। समय का थोड़ा-सा अंतर भी प्रक्रिया को निष्फल बना सकता है।

    अगर बार-बार आईयूआई फेल हो रहा है तो क्या करें?

    हर असफल चक्र के बाद धैर्य रखना कठिन हो सकता है, लेकिन जरूरी है कि आप इसका विश्लेषण करें। आईयूआई फेल होने के बाद क्या करें—सबसे पहले फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से काउंसलिंग लें। डॉक्टर आपके हर चक्र की मॉनिटरिंग रिपोर्ट देखकर यह अनुमान लगा सकते हैं कि किस स्तर पर दिक्कत आ रही है—क्या शुक्राणु की गुणवत्ता में कमी है, क्या हार्मोन संतुलन सही नहीं है, या क्या यूटेरस की lining पर्याप्त मोटी नहीं बन रही? कभी-कभी केवल लाइफस्टाइल चेंज और ओवुलेशन ट्रिगर इंजेक्शन से भी सफलता मिल सकती है। लेकिन यदि 3–4 चक्र के बाद भी कोई पॉजिटिव रिज़ल्ट नहीं आता, तो IVF या अन्य विकल्पों पर शिफ्ट करना समझदारी हो सकती है। याद रखें, हर असफलता में सीख होती है जो अगली सफलता की नींव रखती है।

    यह भी पढ़ें: आईयूआई: जानिए कैसे पाएं सफलता पहली ही कोशिश में

    आईयूआई फेल होने पर क्या करें? (IUI Fail Hone Par Kya Karein)

    जब किसी महिला या दंपति को लगातार आईयूआई फेल होने के कारण का अनुभव होता है, तो यह बेहद भावनात्मक और मानसिक रूप से थका देने वाला हो सकता है। हर असफल चक्र के बाद उम्मीदें टूटती हैं और अक्सर लोग खुद को दोष देने लगते हैं। लेकिन यह समझना बेहद जरूरी है कि आईयूआई का फेल होना केवल आपकी गलती नहीं होती—बल्कि यह हार्मोन, शरीर की प्रतिक्रिया, मेडिकल कंडीशन्स, और कई बार समय की चूक जैसी चीजों पर निर्भर करता है। असफलता का अर्थ यह नहीं कि आप कभी गर्भधारण नहीं कर सकते। बल्कि यह एक संकेत हो सकता है कि आपको अपने ट्रीटमेंट या दृष्टिकोण में कुछ बदलाव करने की जरूरत है। सही मार्गदर्शन, मेडिकल टेस्ट और धैर्य के साथ अगला प्रयास कहीं अधिक प्रभावी हो सकता है।

    आईयूआई फेल होने के बाद क्या करें?

    1. फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लें
    2. हर असफल चक्र के बाद डॉक्टर से डिटेल में कंसल्टेशन लें। वे यह जांच सकते हैं कि आईयूआई ट्रीटमेंट फेल होने के कारण क्या थे — जैसे कि हार्मोन संतुलन, शुक्राणु की गुणवत्ता, या यूटेरस की lining की स्थिति। कई बार क्लिनिकल मॉनिटरिंग की कमी के कारण भी आईयूआई असफल हो सकता है।

    3. फ़र्टिलिटी जांच कराएं
      • महिलाओं के लिए: AMH, FSH, LH, TSH जैसे हार्मोन टेस्ट, HSG या सोनोग्राफी
      • पुरुषों के लिए: स्पर्म काउंट, मोटिलिटी, मॉर्फोलॉजी, और DNA fragmentation ये जांचें यह स्पष्ट करेंगी कि आईयूआई का फेल होना किसी गुप्त समस्या का संकेत है या नहीं।
    4. लाइफस्टाइल में बदलाव लाएं
      • धूम्रपान, शराब और अत्यधिक कैफीन से बचें
      • वजन संतुलित रखें, पौष्टिक आहार लें
      • योग, मेडिटेशन और पर्याप्त नींद को अपनी दिनचर्या में शामिल करें ये सब मिलकर ओवरी हेल्थ, हार्मोन संतुलन, और यूटेरस की lining को बेहतर बनाते हैं।
    5. 2-3 बार ट्राय करें फिर विकल्प सोचें
    6. यदि लगातार 3–4 बार आईयूआई फेल हो रहा है, तो डॉक्टर IVF, ICSI या डोनर एग/स्पर्म जैसे एडवांस ट्रीटमेंट सुझा सकते हैं। हर व्यक्ति की परिस्थिति अलग होती है।

    7. इमोशनल हेल्थ का ख्याल रखें
    8. यह प्रक्रिया सिर्फ शरीर नहीं, मन को भी प्रभावित करती है। अगर आप उदास या निराश महसूस कर रहे हैं तो काउंसलर, थेरेपिस्ट या सपोर्ट ग्रुप्स की मदद लें।

    9. अपने केस के हिसाब से योजना बनाएं
    10. किसी और के सफल या असफल अनुभव की तुलना अपने केस से न करें। आपकी मेडिकल रिपोर्ट, उम्र और मेडिकल हिस्ट्री के आधार पर ट्रीटमेंट प्लान अलग होगा।

    सही दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ना जरूरी है

    आईयूआई एक शुरुआती और सरल प्रक्रिया है, लेकिन यह हर किसी के लिए सफल नहीं होती। इसलिए यदि आपको लगातार आईयूआई फेल होने के कारण का अनुभव हो रहा है, तो उसे आत्मग्लानि की तरह न लें। आज के मेडिकल सिस्टम में बहुत से विकल्प मौजूद हैं और विज्ञान ने गर्भधारण के लिए कई नए रास्ते खोल दिए हैं। हर असफल प्रयास आपको अपने शरीर को बेहतर समझने का मौका देता है। सही डॉक्टर, समय पर टेस्ट, हेल्दी जीवनशैली और पॉजिटिव माइंडसेट से अगला प्रयास पहले से ज्यादा सटीक और सफल हो सकता है। याद रखें, मातृत्व का रास्ता भले ही थोड़ा कठिन हो, लेकिन यह असंभव नहीं है।

    आईयूआई से जुड़े अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

    1. मुझे कैसे पता चलेगा कि मेरा आईयूआई फेल हो रहा है?

    अगर आईयूआई के 14 दिन बाद भी प्रेग्नेंसी टेस्ट नेगेटिव आए या समय पर पीरियड्स शुरू हो जाएं, तो यह संकेत हो सकता है कि आईयूआई फेल हो रहा है। कुछ मामलों में हल्की ऐंठन या spotting भी दिख सकती है, लेकिन ये लक्षण निश्चित नहीं होते।

    2. आईयूआई कितनी बार फेल होता है?

    हर चक्र में आईयूआई की सफलता दर लगभग 10–20% होती है। इसलिए यह आम है कि 2–3 प्रयास असफल हो सकते हैं। ज्यादातर कपल्स को सफलता पाने में 3–6 चक्र लग सकते हैं।

3. कैसे IUI सफल बनाने के लिए?

  • अंडोत्सर्जन की सटीक मॉनिटरिंग करें
  • हेल्दी लाइफस्टाइल अपनाएं
  • डॉक्टर के निर्देश अनुसार दवाएं लें
  • टाइमिंग का ध्यान रखें

यह सब मिलकर आईयूआई की सफलता दर को बढ़ा सकते हैं।

4. IUI के लिए शुक्राणुओं की संख्या कितनी होनी चाहिए?

कम से कम 5 मिलियन motile sperm होना चाहिए। इससे कम होने पर सफलता की संभावना घट जाती है।

5. आईयूआई फेल होने के बाद क्या करें?

  • फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट से सलाह लें
  • टेस्ट कराएं: AMH, FSH, स्पर्म एनालिसिस
  • लाइफस्टाइल सुधारें
  • 3–4 प्रयासों के बाद IVF पर विचार करें

6. आईयूआई सफलता के लक्षण

  • पीरियड्स मिस होना
  • हल्का रक्तस्राव (implantation bleeding)
  • स्तनों में भारीपन या दर्द
  • थकान और मूड स्विंग्स

7. इंप्लांटेशन फेल होने के लक्षण

  • समय से पहले पीरियड्स
  • कोई प्रेगनेंसी सिम्पटम न आना
  • पीरियड्स आने से पहले हल्की ऐंठन

8. आईयूआई पीरियड के कितने दिन बाद होता है?

आईयूआई आमतौर पर पीरियड्स के 12–14वें दिन किया जाता है, जब अंडोत्सर्जन की संभावना सबसे अधिक होती है।

9. आईयूआई कितनी बार करना चाहिए?

3–6 चक्र तक प्रयास करना सामान्य है। यदि उसके बाद भी सफलता नहीं मिले, तो IVF जैसे विकल्प पर विचार करना चाहिए।

10. आईयूआई ट्रीटमेंट कैसे होता है?

  • अंडोत्सर्जन की निगरानी
  • स्पर्म को लैब में तैयार करना
  • उसे कैथेटर से गर्भाशय में डालना
  • 2 सप्ताह बाद प्रेगनेंसी टेस्ट

11. आईयूआई करने के बाद क्या सावधानी बरतनी चाहिए?

  • भारी वजन उठाने से बचें
  • सेक्स से 48 घंटे परहेज़ करें
  • तनाव कम करें, आराम करें
  • धूम्रपान और शराब से बचें

12. 3 दिन IUI लक्षणों के बाद

  • हल्की ऐंठन, थकावट या हल्का रक्तस्राव सामान्य है
  • ये लक्षण implantation की प्रक्रिया का हिस्सा हो सकते हैं
  • कोई भी असामान्य लक्षण हो तो डॉक्टर से संपर्क करें

Disclaimer

As per the "PCPNDT" (Regulation and Prevention of Misuse) Act, 1994, Gender Selection and Determination is strictly prohibited and is a criminal offense. Our centers strictly do not determine the sex of the fetus. The content is for informational and educational purposes only. Treatment of patients varies based on his/her medical condition. Always consult with your doctor for any treatment.

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