आईसीएसआई क्या है? (ICSI in Hindi): ICSI क्यों किया जाता है?

Dr. Nidhi Sehrawet

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Crysta IVF

December 20, 2024

Last Edit Made By Crysta IVF

January 6, 2025

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इंट्रासाइटोप्लाज़मिक स्पर्म इंजेक्शन (ICSI treatment), एक इंजेक्टेबल थेरेपी होती है। यह पुरुष सम्बंधित उन जोड़ों के लिए होती है, जिनमें इनफर्टिलिटी का प्रमुख कारक पुरुष होते हैं, और वे जोड़े पिछली अपनाई गई आई वी एफ प्रक्रिया को निषेचित करने में सफल नहीं हुए हैं। ऐसे ही जोड़ों के लिए इस विधि (ICSI) को विकसित किया गया है, जो की निषेचन को सफल बनाने में मदद करती है।

सर्वप्रथम महिला प्रजनन और पुरुष प्रजनन को समझना जरूरी है:

  1. जिस प्रकार से महिला में प्रजनन का संचालन हार्मोन द्वारा होता है, इसी प्रकार पुरुषों में भी प्रजनन क्रिया में हार्मोन भाग लेते हैं। दोनों ही प्रकार के प्रजनन में सामान्य रूप से काम करने वाले हाइपोथैलेमस और पिट्यूटरी ग्रंथि की आवश्यकता होती है। आपको यह जानना भी आवश्यक है कि महिलाओं की तरह जिसे गोनैडोट्रोपिन रिलीजिंग हार्मोन, या GnRH कहते हैं, एक स्पंदनात्मक तरीके से जारी होता है, जो फॉलिकल स्टिम्युलेटिंग हार्मोन (FSH) और ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन (LH) के रिलीज को उत्तेजित करता है। और पुरुषों में LH विशेष रूप से टेस्टोस्टेरोन उत्पादन को उत्तेजित करता है, जबकि FSH शुक्राणु के उत्पादन को उत्तेजित करता है।

    यह जानकारी भी अधिक महत्वपूर्ण है कि, जिससे की निषेचन की प्रक्रिया में सफलता प्राप्त हो सके, वृषण को इस हार्मोनल उत्तेजना के प्रति प्रतिक्रिया करने में सक्षम होना चाहिए। इसके अलावा, शुक्राणु को मूत्रमार्ग तक ले जाने के लिए एक अक्षुण्ण वाहिनी प्रणाली होनी चाहिए।

  2. अब पुरुष की शारीरिक जनांगों की रचना, उनका व्यवहार, और उनकी जैविक कार्य प्रणाली को समझना भी जरूरी है। पुरुष की शारीरिक संरचना में आपको बताते चलें कि पुरुष के बाहरी जननांगों में अंडकोश होता है, जिसमें वृषण और संबंधित नलिका प्रणाली (एपिडीडिमिस और वास डिफेरेंस) और लिंग होते हैं।

    इसकी संरचना कुछ इस प्रकार से होती है, जिसमें वृषण एक कठोर रेशेदार परत से ढके होते हैं जिसे ट्यूनिका एल्बुगिनिया कहा जाता है, जो वृषण को लोब्यूल्स में विभाजित करता है। 200 से 300 लोब्यूल्स में से प्रत्येक में एक से तीन लंबी और कसकर कुंडलित शुक्र नलिकाएं होती हैं, जिसके भीतर शुक्राणु उत्पादन होता है।

  3. महिला में अंडों का और पुरुष में शुक्राणुओं का महत्व - आपको जानकारी के लिए बता दें, महिला अंडों के विपरीत, शुक्राणु एक पुरुष के पूरे जीवनकाल में लगातार बनते रहते हैं। शुक्राणुजनन और पुरुष प्रजनन पथ के माध्यम से परिवहन के दौरान, पुरुष शुक्राणु एक अत्यधिक विशिष्ट कोशिका में बदल जाते हैं, जिसमें अंडे में प्रवेश करने की अपनी गतिशीलता और एंजाइमेटिक क्षमता होती है।

    इस प्रक्रिया में ग्रंथियाँ सामान्य वीर्य प्लाज्मा का उत्पादन करने के लिए कार्यात्मक होनी चाहिए। लिंग निर्माण और सामान्य स्खलन की अनुमति देने के लिए एक अक्षुण्ण तंत्रिका तंत्र की भी आवश्यकता होती है। इस प्रकार से महिला के अंडों और पुरुष के शुक्राणुओं के बीच निषेचन क्रिया का प्रथम चरण प्रारंभ होता है।

पुरुषों में इनफर्टिलिटी (Male Infertility)

इनफर्टिलिटी को दूर करने के अनेक प्रक्रिया के अंतर्गत अपनाई गई विधियों में UCSF (यूसीएसएफ) प्रजनन स्वास्थ्य में अग्रणी है, और ऐसे परिणाम आ रहे हैं जिसमें पता चलता है कि यह विधि उच्च गर्भावस्था दर को प्राप्त कर रही है, और चिकित्सा के क्षेत्र में, प्रजनन संबंधी चिंताओं वाले पुरुषों के लिए मूल्यांकन और उपचार विकल्पों की एक व्यापक श्रृंखला को प्रस्तुत कर रही है। हम मानते हैं कि आज भी समाज के अंदर यह प्रचलन है कि बांझपन को हल करने की प्रक्रिया कठिन हो सकती है, और इस आधुनिक चिकित्सीय वैज्ञानिक युग में प्रत्येक रोगी की ज्ञान, समझदारी, और सम्मान के साथ देखभाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं, और सफलता के लिए प्रयासरत हैं।

पुरुष इनफर्टिलिटी का उपचार (Male Infertility Solution)

महिलाओं की ही तरह पुरुष इनफर्टिलिटी का उपचार भी अंतर्निहित स्थिति पर निर्भर करता है। आपको मालूम होना चाहिए, शारीरिक समस्याओं को अक्सर सर्जरी से प्रभावी ढंग से संबोधित किया जा सकता है। परंतु कुछ विकारों के इलाज या शुक्राणु उत्पादन को बढ़ाने के लिए दवाओं का उपयोग किया जा सकता है। अब ऐसी स्थिति में जबकि न तो शल्य चिकित्सा और न ही चिकित्सा उपचार उपयुक्त है, तो ऐसे में हम नवीनतम सहायक प्रजनन तकनीक प्रदान करते हैं।

इस विधि में शुक्राणु निष्कर्षण प्रक्रियाएँ और इंट्रासाइटोप्लाज़मिक शुक्राणु इंजेक्शन शामिल हैं, जो UCSF में विकसित एक क्रांतिकारी तकनीक है जिसने पुरुष प्रजनन समस्याओं वाले कई जोड़ों को गर्भावस्था प्राप्त करने में मदद की है, और इसने आशा की नई किरण को जन्म देकर पुरुष इनफर्टिलिटी को दूर करने में अत्यधिक मदद की है।

प्रारंभिक पुरुष प्रजनन क्षमता परीक्षण में चिकित्सा इतिहास, यानी पूर्व में किया गया इलाज और संबंधित शारीरिक परीक्षण, सामान्य हार्मोन परीक्षण और एक या अधिक वीर्य विश्लेषण शामिल होते हैं, जो वीर्य की मात्रा के साथ-साथ शुक्राणुओं की संख्या, सहज गति करने की क्षमता और गति की गुणवत्ता को मापते हैं।

इसके अंतर्गत पिछले चिकित्सा इतिहास की जानकारी, पूर्व सर्जरी और प्रयुक्त दवाओं की समीक्षा की जाती है। इनफर्टिलिटी या जन्म दोषों के पारिवारिक इतिहास पर चर्चा भी आवश्यक है। प्रजनन क्षमता को प्रभावित करने वाले खतरनाक पदार्थों के संभावित जोखिम का मूल्यांकन करने के लिए सामाजिक इतिहास और व्यावसायिक खतरों की सावधानीपूर्वक समीक्षा करके इनफर्टिलिटी का निदान किया जा सकता है। नैदानिक मूल्यांकन पूरा हो जाने के बाद, उपचार में चिकित्सीय या अंतःस्त्रावी संबंधी उपचार, शल्य चिकित्सा सुधार या गर्भधारण के लिए शुक्राणु में हेरफेर या प्रक्रिया करने का निर्णय शामिल हो सकता है।

किसी भी प्रजनन उपचार से वीर्य की गुणवत्ता पर इसके शुरू होने के लगभग तीन महीने बाद प्रभाव पड़ने की उम्मीद की जा सकती है, क्योंकि शुक्राणुजनन या शुक्राणु उत्पादन के एक चक्र के लिए यह समय की अवधि आवश्यक है। यदि न तो शल्य चिकित्सा और न ही चिकित्सा उपचार उपयुक्त है, तो सहायक प्रजनन तकनीकें संभव हैं। यानी की इनफर्टिलिटी का उपचार भी संभव है, जिसका सफल प्रयोग किया जा चुका है।

उपचार योजना का चयन करते समय, प्रत्येक दंपत्ति के दीर्घकालिक लक्ष्यों, वित्तीय बाधाओं, तथा पुरुष कारक निष्कर्षों के अतिरिक्त महिला साथी के मूल्यांकन के परिणामों पर भी विचार किया जाना चाहिए।

विशिष्ट चिकित्सा

पुरुष इनफर्टिलिटी के लिए सबसे सफल चिकित्सा उपचार में रासायनिक, संक्रामक या अंतःस्रावी असंतुलन को उलटना शामिल है। इसे विशिष्ट चिकित्सा कहा जाता है, और यह आमतौर पर सफल होती है क्योंकि उपचार अच्छी तरह से परिभाषित समस्याओं के सुधार पर आधारित होता है।

इस विशिष्ट तकनीक में शामिल हैं: एक प्रमुख प्रजनन तकनीक – सहायक प्रजनन तकनीक-इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) – यह अति विशिष्ट जानकारी है कि इनफर्टिलिटी की विशिष्ट बीमारियों का इलाज करने से प्रजनन समस्या का समाधान हो भी सकता है और नहीं भी। कम से कम 10 प्रतिशत इनफर्टिलिटी की समस्याएँ अज्ञात कारणों से होती हैं और अन्य 30 प्रतिशत पुरुष और महिला दोनों भागीदारों में समस्याओं के कारण होती हैं।

इसलिए इन आंकड़ों को ध्यान में रख कर सहायक प्रजनन तकनीक में भाग लेना चाहिए, जिससे इलाज कराने वाले जोड़ों के मस्तिष्क में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इंट्रासाइटोप्लाज़्मिक स्पर्म इंजेक्शन (आईसीएसआई) विधि पुरुषों के इनफर्टिलिटी में एक सफल तकनीक साबित हुई है।

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