हिस्टेरोस्कोपी से जुड़ी हर जानकारी – जानिए यह क्या है और क्यों है महत्वपूर्ण!

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Crysta IVF

January 30, 2025

Last Edit Made By Crysta IVF

January 30, 2025

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हिस्टेरोस्कोपी क्या है? (What is Hysteroscopy in Hindi?)

हिस्टेरोस्कोपी एक चिकित्सा प्रक्रिया है, जिसका उपयोग गर्भाशय (uterus) की जांच करने और उसमें मौजूद असामान्यताओं के निदान या उपचार के लिए किया जाता है। यह प्रक्रिया विशेष रूप से उन महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होती है, जो गर्भधारण में समस्या का सामना कर रही हैं या जो बार-बार गर्भपात का सामना कर रही हैं। हिस्टेरोस्कोपी में एक विशेष उपकरण (जिसे हिस्टेरोस्कोप कहते हैं) का उपयोग करके गर्भाशय के अंदर की स्थिति का निरीक्षण किया जाता है।

इस प्रक्रिया में डॉक्टर एक पतली और लचीली ट्यूब (हिस्टेरोस्कोप) का इस्तेमाल करते हैं, जो एक छोटे कैमरे और लाइट से जुड़ी होती है। इस उपकरण के माध्यम से डॉक्टर गर्भाशय के अंदर की संरचनाओं को देख सकते हैं और किसी भी असामान्यता, जैसे कि फाइब्रोइड्स, पॉलीप्स, या गर्भाशय की संरचनात्मक समस्याओं का पता लगा सकते हैं। यह प्रक्रिया न केवल निदान में मदद करती है बल्कि उपचार के लिए भी सहायक हो सकती है।

हिस्टेरोस्कोपी IVF (In Vitro Fertilization) जैसी प्रक्रियाओं से पहले भी की जाती है, ताकि गर्भाशय की स्थिति का सही मूल्यांकन किया जा सके। इसके अलावा, यह उन महिलाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है, जिन्हें बार-बार गर्भपात या प्रजनन संबंधी समस्याएं हो रही हैं।

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हिस्टेरोस्कोपी प्रक्रिया (Hysteroscopy Procedure in IVF)

हिस्टेरोस्कोपी एक सरल और प्रभावी प्रक्रिया है, जिसे आमतौर पर अस्पतालों और क्लिनिक में किया जाता है। इस प्रक्रिया में मरीज को सामान्यत: हल्का संज्ञाहरण दिया जाता है, जिससे उसे कोई दर्द या असुविधा महसूस नहीं होती।

    प्रारंभिक तैयारी (Pre-Procedure Preparation):

    • इस प्रक्रिया से पहले महिला की स्वास्थ्य स्थिति का मूल्यांकन किया जाता है। डॉक्टर महिला से उसकी मेडिकल हिस्ट्री पूछते हैं, ताकि यह पता चल सके कि उसे पहले किसी प्रकार की बीमारी या समस्या तो नहीं रही है।
    • इसके बाद, महिला को आरामदायक स्थिति में लिटाया जाता है और संज्ञाहरण दिया जाता है।

    प्रवेश और निरीक्षण (Insertion and Inspection):

    • एक छोटे, पतले उपकरण, जिसे हिस्टेरोस्कोप कहा जाता है, को महिला के जननांग से गर्भाशय में डाला जाता है। इस उपकरण में एक कैमरा और लाइट होती है, जिससे डॉक्टर को गर्भाशय की आंतरिक संरचनाओं का स्पष्ट दृश्य मिलता है।
    • गर्भाशय को सही से देखने के लिए, डॉक्टर सलाईन (saline) या गैस का उपयोग करते हैं, जिससे गर्भाशय में जगह बनती है और डॉक्टर को बेहतर दृश्यता मिलती है।

    असामान्यताओं का निदान (Diagnosis of Abnormalities):

    • यदि गर्भाशय में कोई असामान्यता पाई जाती है, जैसे कि फाइब्रोइड्स (fibroids), पॉलीप्स (polyps), गर्भाशय की सूजन या अवरोध, तो इन्हें ठीक करने के लिए आवश्यक उपकरण का इस्तेमाल किया जा सकता है।
    • यह प्रक्रिया एक ही समय में निदान और उपचार दोनों के लिए की जाती है, जिससे मरीज को अलग से सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ती है।

    अंतिम चरण (Post-Procedure):

    • प्रक्रिया के बाद, महिला को कुछ समय के लिए आराम करने के लिए रखा जाता है। आमतौर पर यह प्रक्रिया लगभग 15-30 मिनट तक चलती है और महिला को अस्पताल में ज्यादा समय तक रहने की आवश्यकता नहीं होती।
    • महिला को थोड़ी हल्की असुविधा महसूस हो सकती है, जैसे कि पेट में हल्का दर्द, जो कुछ घंटों में ठीक हो जाता है।

    महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points):

    • हिस्टेरोस्कोपी प्रक्रिया में कोई बड़ा शारीरिक नुकसान नहीं होता है और इसे सामान्य संज्ञाहरण में किया जाता है।
    • यह एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिससे अस्पताल में रहने की आवश्यकता नहीं होती है।
    • गर्भाशय की संरचनाओं का सही निरीक्षण करने के लिए यह सबसे प्रभावी तरीका है।
    • यदि कोई असामान्यता पाई जाती है, तो उसे तुरंत ठीक किया जा सकता है।

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    हिस्टेरोस्कोपी के लाभ (Benefits of Hysteroscopy)

    हिस्टेरोस्कोपी के बहुत सारे लाभ होते हैं, विशेष रूप से जब इसे प्रजनन संबंधी समस्याओं के निदान और उपचार के लिए किया जाता है। यह एक न्यूनतम आक्रामक प्रक्रिया है और इसके परिणामस्वरूप महिला की प्रजनन क्षमता पर सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

    1. गर्भाशय का स्पष्ट निरीक्षण (Clear Inspection of the Uterus):
    2. हिस्टेरोस्कोपी से गर्भाशय की अंदर की संरचनाओं का बहुत स्पष्ट और सटीक निरीक्षण किया जा सकता है। इस प्रक्रिया से गर्भाशय की आंतरिक परत, अंडाशय और ट्यूब्स की स्थिति का पता चलता है। किसी भी असामान्यता जैसे कि फाइब्रोइड्स, पॉलीप्स, अवरोध या सूजन का सही समय पर पता चल जाता है।

    3. गर्भधारण में सहायता (Assistance in Conception):
    4. अगर किसी महिला को गर्भधारण में समस्या हो रही है, तो हिस्टेरोस्कोपी का उपयोग गर्भाशय की संरचनाओं को ठीक करने में मदद कर सकता है। फाइब्रोइड्स, पॉलीप्स या अन्य संरचनात्मक समस्याएं गर्भधारण की प्रक्रिया में रुकावट डाल सकती हैं, जिसे हिस्टेरोस्कोपी से ठीक किया जा सकता है। इससे IVF जैसी प्रक्रियाओं के परिणामों में भी सुधार हो सकता है।

    5. नॉन-इनवेसिव और सुरक्षित (Non-invasive and Safe):
    6. हिस्टेरोस्कोपी एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, जिससे शरीर में कोई बड़ा चीरा नहीं लगता है। इस प्रक्रिया में दर्द और जोखिम बहुत कम होते हैं, और महिला को जल्दी स्वस्थ होने का अवसर मिलता है। सामान्यत: इसे आउटपेशेंट प्रक्रिया के रूप में किया जाता है, यानी मरीज को अस्पताल में ज्यादा समय तक रहना नहीं पड़ता।

    7. समय और खर्च की बचत (Time and Cost Saving):
    8. चूंकि हिस्टेरोस्कोपी में मरीज को ज्यादा समय अस्पताल में नहीं रहना पड़ता और यह एक नॉन-इनवेसिव प्रक्रिया है, इसका समय और खर्च भी कम होता है। साथ ही, यह IVF जैसी प्रक्रियाओं के लिए एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकती है, जिससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है।

    9. गर्भाशय की असामान्यताओं का इलाज (Treatment of Uterine Abnormalities):
    10. इस प्रक्रिया से गर्भाशय में पाई गई किसी भी असामान्यता को ठीक किया जा सकता है। जैसे कि फाइब्रोइड्स या पॉलीप्स, जो गर्भधारण में समस्याएं पैदा कर सकते हैं। हिस्टेरोस्कोपी का उपयोग इन असामान्यताओं को ठीक करने के लिए किया जाता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।

    महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points):

    • गर्भाशय की संरचनाओं का स्पष्ट निरीक्षण करके, कोई भी असामान्यता तुरंत ठीक की जा सकती है।
    • यह गर्भधारण में मदद करता है, विशेषकर IVF के दौरान।
    • यह एक नॉन-इनवेसिव और सुरक्षित प्रक्रिया है।
    • इसके जरिए गर्भाशय की समस्याओं का निदान और उपचार किया जा सकता है।

    हिस्टेरोस्कोपी के जोखिम (Risks of Hysteroscopy)

    हालांकि हिस्टेरोस्कोपी सामान्यत: एक सुरक्षित और प्रभावी प्रक्रिया है, लेकिन इसके साथ कुछ जोखिम भी जुड़े होते हैं। इन जोखिमों को समझना जरूरी है, ताकि आप सही निर्णय ले सकें।

    1. संक्रमण (Infection):
    2. किसी भी सर्जिकल प्रक्रिया की तरह हिस्टेरोस्कोपी में भी संक्रमण का जोखिम हो सकता है। हालांकि, यह जोखिम बहुत कम होता है और इसे एंटीबायोटिक्स के माध्यम से नियंत्रित किया जा सकता है। यदि संक्रमण का सामना करना पड़ता है, तो तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए।

    3. गर्भाशय में चोट (Uterine Injury):
    4. गर्भाशय की दीवारों में हल्की चोट का जोखिम रहता है, हालांकि यह बहुत कम होता है। यह चोट सामान्यत: मामूली होती है और सही इलाज से जल्दी ठीक हो जाती है। लेकिन कभी-कभी यह बड़ी चोट बन सकती है, जिसके लिए सर्जरी की जरूरत पड़ सकती है।

    5. रक्तस्राव (Bleeding):
    6. हिस्टेरोस्कोपी के बाद हल्का रक्तस्राव होना सामान्य है। यह कुछ घंटों से लेकर कुछ दिनों तक हो सकता है। हालांकि, अगर रक्तस्राव बहुत अधिक हो या लंबे समय तक चलता रहे, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    7. गैस या सलाईन के प्रभाव (Effect of Gas or Saline):
    8. हिस्टेरोस्कोपी में गर्भाशय को दृश्य बनाने के लिए सलाईन या गैस का इस्तेमाल किया जाता है।

      कभी-कभी इस प्रक्रिया के बाद कुछ महिलाओं को पेट में हल्का दर्द या सूजन महसूस हो सकती है, जो आमतौर पर कुछ समय में ठीक हो जाता है।

    महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points):

    • हिस्टेरोस्कोपी के बाद संक्रमण का खतरा हो सकता है, लेकिन यह नियंत्रित किया जा सकता है।
    • गर्भाशय में हल्की चोट का जोखिम रहता है, जो सामान्यत: ठीक हो जाती है।
    • रक्तस्राव सामान्य है, लेकिन अत्यधिक रक्तस्राव होने पर डॉक्टर से संपर्क करें।
    • गैस या सलाईन के कारण पेट में हल्का दर्द हो सकता है।

    हिस्टेरोस्कोपी की लागत (Cost of Hysteroscopy in IVF)

    हिस्टेरोस्कोपी की लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है। इस प्रक्रिया की कीमत आपके अस्पताल या क्लिनिक की लोकेशन, प्रक्रिया की जटिलता और अन्य चिकित्सा सेवाओं पर निर्भर करती है।

    लागत का निर्धारण (Cost Determination):

    • स्थान: मेट्रो शहरों में हिस्टेरोस्कोपी की कीमत अधिक हो सकती है, जबकि छोटे शहरों में इसकी लागत कम हो सकती है।
    • अस्पताल का प्रकार: निजी अस्पतालों और अस्पतालों में लागत में फर्क हो सकता है। सरकारी अस्पतालों में यह प्रक्रिया सस्ती हो सकती है।
    • प्रक्रिया की जटिलता: यदि प्रक्रिया में कोई जटिलता उत्पन्न होती है, तो इसकी कीमत बढ़ सकती है।
    • आम तौर पर, भारत में हिस्टेरोस्कोपी की लागत ₹20,000 से ₹50,000 के बीच हो सकती है। यदि यह IVF जैसी किसी प्रक्रिया के हिस्से के रूप में की जाती है, तो इसकी कुल लागत ₹1,00,000 से ₹3,00,000 तक हो सकती है।

    महत्वपूर्ण बिंदु (Key Points):

    • हिस्टेरोस्कोपी की लागत स्थान और अस्पताल के अनुसार बदल सकती है।
    • प्रक्रिया की जटिलता के आधार पर कीमत में वृद्धि हो सकती है।
    • सरकारी अस्पतालों में यह प्रक्रिया सस्ती हो सकती है।

    हिस्टेरोस्कोपी एक महत्वपूर्ण और प्रभावी प्रक्रिया है जो महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य का मूल्यांकन करने और सुधारने में मदद करती है। यह IVF जैसी प्रक्रियाओं के लिए महत्वपूर्ण होती है और गर्भधारण की संभावना बढ़ाती है। हालांकि इस प्रक्रिया में कुछ जोखिम होते हैं, लेकिन यह सामान्यत: सुरक्षित मानी जाती है।

    आपकी स्वास्थ्य स्थिति के आधार पर डॉक्टर से परामर्श लेकर आप इस प्रक्रिया के बारे में और अधिक जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। इसके द्वारा गर्भाशय की असामान्यताओं का निदान किया जा सकता है और उनका इलाज भी किया जा सकता है, जिससे गर्भधारण की संभावना बढ़ सकती है।

    यदि आप हिस्टेरोस्कोपी के बारे में जानकारी या इलाज की तलाश में हैं, तो लखनऊ में IVF हॉस्पिटल IVF Hospital in Lucknow के लिए क्रिस्टा IVF से संपर्क करें। हम आधुनिक तकनीकों का उपयोग करके आपकी प्रजनन संबंधी समस्याओं का समाधान करते हैं। हिस्टेरोस्कोपी के साथ-साथ हम अन्य प्रजनन स्वास्थ्य सेवाएं भी प्रदान करते हैं। अपने सपनों को साकार करने के लिए आज ही क्रिस्टा IVF से जुड़ें।

Disclaimer

As per the "PCPNDT" (Regulation and Prevention of Misuse) Act, 1994, Gender Selection and Determination is strictly prohibited and is a criminal offense. Our centers strictly do not determine the sex of the fetus. The content is for informational and educational purposes only. Treatment of patients varies based on his/her medical condition. Always consult with your doctor for any treatment.

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