क्रायोप्रिज़र्वेशन: भविष्य में माता-पिता बनने का सपना सच करें, जानिए इसके रहस्यों को!

Medically Reviewed By

Dr. Nidhi Sehrawet

Written By Mahima Nigam

March 18, 2025

Last Edit Made By Mahima Nigam

April 29, 2025

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क्रायोप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) एक वैज्ञानिक तकनीक है, जिसका उपयोग जैविक कोशिकाओं (biological cells), ऊतकों (tissues), शुक्राणु (sperm), अंडाणु (eggs), भ्रूण (embryo), स्टेम सेल (stem cells) और अन्य जैविक नमूनों को बहुत कम तापमान (-196°C) पर संरक्षित करने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया का मुख्य उद्देश्य इन नमूनों को लंबे समय तक जीवित और स्वस्थ बनाए रखना है, ताकि भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर इनका पुनः उपयोग किया जा सके।

आज के आधुनिक चिकित्सा जगत में इनफर्टिलिटी ट्रीटमेंट (Infertility Treatment), IVF (In-Vitro Fertilization), मेडिकल रिसर्च (Medical Research), ऑन्कोलॉजी (Oncology) और स्टेम सेल थेरेपी (Stem Cell Therapy) के लिए क्रायोप्रिजर्वेशन का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। विशेष रूप से वे लोग जो अपनी प्रजनन क्षमता को बनाए रखना चाहते हैं, उनके लिए यह एक बहुत ही उपयोगी तकनीक है। उदाहरण के लिए, कैंसर के मरीजों को कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी दी जाती है, जिससे उनकी प्रजनन क्षमता प्रभावित हो सकती है। ऐसे में वे अपने शुक्राणु, अंडाणु या भ्रूण को संरक्षित करवा सकते हैं, ताकि भविष्य में संतान प्राप्ति की संभावना बनी रहे।

क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया अत्यधिक परिष्कृत होती है, जिसमें जैविक नमूनों को धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है और फिर लिक्विड नाइट्रोजन (Liquid Nitrogen) में अत्यधिक ठंडे तापमान पर संग्रहित किया जाता है। यह प्रक्रिया कोशिकाओं को सुरक्षित रखने में मदद करती है और उनके अंदर बर्फ के क्रिस्टल बनने से रोकती है, जिससे उनकी कार्यक्षमता बनी रहती है।

इसके अलावा, क्रायोप्रिजर्वेशन न केवल प्रजनन उपचार (Fertility Treatment) के लिए उपयोगी है, बल्कि इसका उपयोग ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant), बायोमेडिकल रिसर्च (Biomedical Research) और जेनेटिक स्टडीज़ (Genetic Studies) के लिए भी किया जाता है। यह तकनीक वैज्ञानिकों को दुर्लभ और कीमती जैविक नमूनों को लंबे समय तक सुरक्षित रखने की सुविधा प्रदान करती है, जिससे भविष्य में चिकित्सा जगत में क्रांतिकारी खोजें की जा सकती हैं।

हालांकि, क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया में कुछ जोखिम और चुनौतियाँ भी होती हैं, जैसे कि कोशिकाओं को सही तरीके से संग्रहित करने की आवश्यकता, ठंड के कारण कोशिकाओं की क्षति, और थॉविंग (Thawing) के दौरान उनकी गुणवत्ता बनाए रखने की चुनौती।

क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया (Process of Cryopreservation) –

क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया कई महत्वपूर्ण चरणों में पूरी होती है, जिससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि जैविक नमूने दीर्घकालिक रूप से संरक्षित रह सकें और भविष्य में उपयोग के लिए उनकी गुणवत्ता बनी रहे। यह प्रक्रिया अत्यधिक सावधानी और सटीकता के साथ की जाती है ताकि कोशिकाओं को किसी भी प्रकार की क्षति न हो।

  1. नमूना संग्रह (Sample Collection)
  2. क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया का पहला चरण नमूना संग्रह (Sample Collection) है। इसमें विभिन्न प्रकार के जैविक नमूने एकत्र किए जाते हैं, जैसे कि:

    • शुक्राणु (Sperm Freezing): पुरुषों के शुक्राणु को संरक्षित किया जाता है ताकि भविष्य में इनका उपयोग IVF या IUI जैसी प्रक्रियाओं में किया जा सके।
    • अंडाणु (Egg Freezing): महिलाओं के अंडाणुओं को फ्रीज कर भविष्य में गर्भधारण के लिए संरक्षित किया जाता है।
    • भ्रूण (Embryo Freezing): IVF उपचार के दौरान बनाए गए भ्रूणों को फ्रीज कर भविष्य में गर्भधारण के लिए संरक्षित किया जाता है।
    • स्टेम सेल (Stem Cell Freezing): बोन मैरो और अन्य ऊतकों से प्राप्त स्टेम सेल को मेडिकल रिसर्च और थेरेपी के लिए संरक्षित किया जाता है।
  3. क्रायोप्रोटेक्टेंट का उपयोग (Use of Cryoprotectants)
  4. क्रायोप्रिजर्वेशन प्रक्रिया के दौरान कोशिकाओं को ठंड से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए क्रायोप्रोटेक्टेंट एजेंट (Cryoprotectant Agents) का उपयोग किया जाता है। ये एजेंट कोशिकाओं के अंदर बनने वाले बर्फ के क्रिस्टल को रोकते हैं, जिससे वे सुरक्षित रहते हैं और भविष्य में पुनः उपयोग किए जा सकते हैं।

  5. ठंडा करने की प्रक्रिया (Cooling Process)
  6. इस चरण में कोशिकाओं को धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है ताकि वे क्षतिग्रस्त न हों। ठंडा करने की दो प्रमुख विधियाँ होती हैं:

    • कंट्रोल्ड-रेट फ्रीजिंग (Controlled-Rate Freezing): इसमें कोशिकाओं को धीरे-धीरे ठंडा किया जाता है, जिससे वे अधिक सुरक्षित रहती हैं।
    • विट्रिफिकेशन (Vitrification): यह एक तेजी से फ्रीज करने की प्रक्रिया है, जिसमें कोशिकाओं को तुरंत -196°C पर लिक्विड नाइट्रोजन में रखा जाता है।
    • तरल नाइट्रोजन में संग्रह (Storage in Liquid Nitrogen)
    • ठंडा करने के बाद, नमूनों को विशेष रूप से डिज़ाइन किए गए कंटेनरों में लिक्विड नाइट्रोजन (-196°C) में संग्रहीत किया जाता है। यह लॉन्ग-टर्म स्टोरेज (Long-Term Storage) के लिए उपयुक्त होता है और कोशिकाओं को कई वर्षों तक संरक्षित रख सकता है।

    • पुनर्जीवन प्रक्रिया (Thawing Process)
    • जब संरक्षित कोशिकाओं की आवश्यकता होती है, तो उन्हें सावधानीपूर्वक थॉविंग (Thawing) प्रक्रिया के माध्यम से वापस सामान्य तापमान पर लाया जाता है। यह प्रक्रिया बहुत महत्वपूर्ण होती है, क्योंकि गलत तरीके से थॉविंग करने से कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो सकती हैं और उनकी कार्यक्षमता कम हो सकती है।

      क्रायोप्रिजर्वेशन की सफलता के लिए महत्वपूर्ण कारक

      • नमूना संग्रह की गुणवत्ता: जितना अधिक स्वस्थ शुक्राणु, अंडाणु या भ्रूण होगा, क्रायोप्रिजर्वेशन की सफलता उतनी ही अधिक होगी।
      • क्रायोप्रोटेक्टेंट का उचित अनुपात: यदि क्रायोप्रोटेक्टेंट की मात्रा सही नहीं होगी, तो कोशिकाओं को नुकसान हो सकता है।
      • स्टोरेज की निगरानी: संग्रहित नमूनों को लगातार जांचना आवश्यक होता है ताकि तापमान में किसी भी प्रकार की गड़बड़ी न हो।
      • थॉविंग तकनीक: कोशिकाओं को सही तरीके से पुनः जीवंत करने के लिए उन्नत थॉविंग तकनीकों का उपयोग किया जाना चाहिए।

        क्रायोप्रिजर्वेशन की प्रक्रिया को सावधानीपूर्वक और वैज्ञानिक रूप से किया जाना आवश्यक होता है, ताकि जैविक नमूनों को सुरक्षित रखा जा सके और भविष्य में उपयोग के लिए उनकी गुणवत्ता बनी रहे।

        क्रायोप्रिजर्वेशन के प्रकार (Types of Cryopreservation) –

        क्रायोप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) एक बहुआयामी प्रक्रिया है जिसका उपयोग विभिन्न प्रकार की जैविक सामग्रियों को संरक्षित करने के लिए किया जाता है। यह तकनीक चिकित्सा, अनुसंधान, और प्रजनन उपचार (Reproductive Treatment) में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके मुख्य प्रकार निम्नलिखित हैं:

        1. शुक्राणु संरक्षण (Sperm Cryopreservation)
          • स्पर्म फ्रीजिंग (Sperm Freezing) उन पुरुषों के लिए फायदेमंद है, जिन्हें भविष्य में संतान उत्पन्न करने की आवश्यकता हो सकती है।
          • यह तकनीक मुख्य रूप से उन पुरुषों के लिए उपयोगी होती है जो कैंसर ट्रीटमेंट (Cancer Treatment), रेडिएशन थेरेपी (Radiation Therapy), केमोथेरेपी (Chemotherapy) या किसी अन्य कारण से बांझपन (Infertility) के जोखिम में हैं।
          • आईवीएफ (IVF) और आईयूआई (IUI - Intrauterine Insemination) जैसी प्रक्रियाओं में संरक्षित शुक्राणुओं का उपयोग किया जाता है।
        2. अंडाणु संरक्षण (Oocyte Cryopreservation or Egg Freezing)
          • अंडाणु (Oocyte) को फ्रीज कर भविष्य में उपयोग के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
          • यह उन महिलाओं के लिए उपयोगी होता है जो करियर, स्वास्थ्य समस्याओं, या व्यक्तिगत कारणों से देरी से मातृत्व की योजना बना रही हैं।
          • आईवीएफ ट्रीटमेंट में अंडाणु संरक्षण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि इससे महिलाओं को अपने जैविक अंडाणु का उपयोग करने का अवसर मिलता है, भले ही उनकी उम्र बढ़ जाए।
        3. भ्रूण संरक्षण (Embryo Cryopreservation)
          • भ्रूण (Embryo) को फ्रीज कर भविष्य में गर्भधारण (Pregnancy) के लिए सुरक्षित रखा जाता है।
          • यह उन जोड़ों के लिए फायदेमंद होता है जो आईवीएफ (IVF) के दौरान अतिरिक्त भ्रूण बनाते हैं और उन्हें भविष्य में उपयोग करना चाहते हैं।
          • भ्रूण संरक्षण तकनीक प्रजनन चिकित्सा में अत्यधिक प्रभावी मानी जाती है और गर्भधारण की सफलता दर (Success Rate) को बढ़ाने में मदद करती है।
        4. अंडकोष और अंडाशय ऊतक संरक्षण (Testicular and Ovarian Tissue Cryopreservation)
          • अंडकोष (Testicular Tissue) और अंडाशय (Ovarian Tissue) के ऊतकों को संरक्षित किया जाता है।
          • यह तकनीक उन बच्चों के लिए उपयोगी होती है जो कैंसर या अन्य गंभीर बीमारियों के कारण अपनी प्रजनन क्षमता खो सकते हैं।
          • इस प्रक्रिया के तहत ऊतकों को फ्रीज किया जाता है और जब व्यक्ति प्रजनन के लिए तैयार होता है, तब इन्हें पुनः सक्रिय किया जाता है।
        5. स्टेम सेल क्रायोप्रिजर्वेशन (Stem Cell Cryopreservation)
          • स्टेम सेल (Stem Cells) को क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक के माध्यम से सुरक्षित रखा जाता है ताकि भविष्य में चिकित्सा उपचार (Medical Treatment) में उनका उपयोग किया जा सके।
          • बोन मैरो ट्रांसप्लांट (Bone Marrow Transplant) और ऑन्कोलॉजी ट्रीटमेंट (Oncology Treatment) में स्टेम सेल का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है।
          • यह तकनीक विभिन्न प्रकार के कैंसर, रक्त विकार (Blood Disorders), और अन्य बीमारियों के उपचार के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। 6. ऑर्गन और ऊतक क्रायोप्रिजर्वेशन (Organ and Tissue Cryopreservation)
          • ऑर्गन ट्रांसप्लांट (Organ Transplant) के लिए कुछ अंगों और ऊतकों को क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक के माध्यम से संरक्षित किया जाता है।
          • वर्तमान में, वैज्ञानिक और डॉक्टर इस तकनीक को विकसित करने में लगे हैं, ताकि भविष्य में संपूर्ण अंगों (Complete Organs) को फ्रीज कर संरक्षित किया जा सके।
          • क्रायोप्रिजर्वेशन की ये विभिन्न विधियाँ आज चिकित्सा और प्रजनन विज्ञान (Reproductive Science) में क्रांतिकारी बदलाव ला रही हैं। यह न केवल उन लोगों के लिए फायदेमंद है जो भविष्य में परिवार नियोजन करना चाहते हैं, बल्कि गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए भी उपयोगी है।

            क्रायोप्रिजर्वेशन के लाभ (Benefits of Cryopreservation) –

            क्रायोप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) तकनीक के कई महत्वपूर्ण लाभ हैं। यह न केवल प्रजनन स्वास्थ्य (Reproductive Health) के क्षेत्र में, बल्कि चिकित्सा अनुसंधान (Medical Research) और रोगों के इलाज में भी मददगार साबित हो रही है। इसके कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं:

            1. प्रजनन क्षमता की सुरक्षा (Fertility Preservation)
              • पुरुष और महिलाएं अपनी फर्टिलिटी प्रिजर्व (Fertility Preserve) कर सकते हैं, ताकि भविष्य में जब वे माता-पिता बनना चाहें, तब वे संरक्षित शुक्राणु, अंडाणु या भ्रूण का उपयोग कर सकें।
              • कैंसर के मरीज, जिन्हें कीमोथेरेपी या रेडिएशन थेरेपी दी जाती है, वे अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखने के लिए क्रायोप्रिजर्वेशन का सहारा ले सकते हैं।
            2. मेडिकल रिसर्च और जेनेटिक स्टडीज (Medical Research and Genetic Studies)
              • स्टेम सेल (Stem Cells) और अन्य जैविक ऊतकों को संरक्षित कर चिकित्सा अनुसंधान में उपयोग किया जाता है।
              • इससे वैज्ञानिकों को दुर्लभ बीमारियों के उपचार की खोज करने में मदद मिलती है।
            3. आईवीएफ और आईयूआई में सफलता दर बढ़ाना (Increasing IVF and IUI Success Rates)
              • IVF Treatment और IUI Treatment में संरक्षित शुक्राणु, अंडाणु और भ्रूण का उपयोग करने से गर्भधारण की संभावना बढ़ जाती है।
              • यह तकनीक उन दंपतियों के लिए मददगार होती है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर सकते।
            4. ऑर्गन ट्रांसप्लांट में सहायता (Organ Transplant Assistance)
              • इस तकनीक के माध्यम से महत्वपूर्ण ऊतकों और कोशिकाओं को संरक्षित किया जा सकता है, जो भविष्य में अंग प्रत्यारोपण (Organ Transplant) के लिए उपयोग किए जा सकते हैं।
            5. स्टेम सेल थेरेपी (Stem Cell Therapy)
              • यह तकनीक स्टेम सेल थेरेपी में उपयोगी होती है, जिससे कैंसर, हृदय रोग (Heart Disease) और अन्य गंभीर बीमारियों का इलाज किया जा सकता है।
            6. भविष्य की चिकित्सा संभावनाएँ (Future Medical Possibilities)
              • वैज्ञानिक क्रायोप्रिजर्वेशन तकनीक को उन्नत करने पर कार्य कर रहे हैं, ताकि भविष्य में पूरे अंगों को सुरक्षित रखा जा सके।

              क्रायोप्रिजर्वेशन के इन लाभों के कारण यह तकनीक तेजी से लोकप्रिय हो रही है और चिकित्सा विज्ञान में नई संभावनाओं को जन्म दे रही है।

              क्रायोप्रिजर्वेशन (Cryopreservation) एक अत्याधुनिक तकनीक है जो चिकित्सा और प्रजनन क्षमता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। यह तकनीक उन लोगों के लिए विशेष रूप से फायदेमंद है जो अपनी प्रजनन क्षमता को सुरक्षित रखना चाहते हैं, या गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए स्टेम सेल और अन्य जैविक नमूनों का संरक्षण करना चाहते हैं।

              आजकल, IVF Clinics में क्रायोप्रिजर्वेशन का व्यापक रूप से उपयोग किया जा रहा है। यह तकनीक उन दंपतियों के लिए जीवनदायी सिद्ध हुई है, जो संतान प्राप्ति में कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं।

              अगर आप भी Fertility Preservation या IVF Treatment के लिए Best IVF Clinic in Pune की तलाश कर रहे हैं, तो क्रिस्टा आईवीएफ (Crysta IVF) से संपर्क करें। क्रिस्टा आईवीएफ आधुनिक तकनीकों और अनुभवी डॉक्टरों की मदद से उन्नत प्रजनन उपचार प्रदान करता है, जिससे संतान प्राप्ति का सपना साकार किया जा सकता है।

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As per the "PCPNDT" (Regulation and Prevention of Misuse) Act, 1994, Gender Selection and Determination is strictly prohibited and is a criminal offense. Our centers strictly do not determine the sex of the fetus. The content is for informational and educational purposes only. Treatment of patients varies based on his/her medical condition. Always consult with your doctor for any treatment.

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