IVF ट्रीटमेंट में लगने वाले इंजेक्शन के प्रकार, फायदे और नुकसान 

types of ivf injections

IVF प्रक्रिया (IVF process) में अंडों को स्पर्म के साथ लैब में मिलाकर एम्ब्र्यो को बनाया जाता है जिसे फिर महिलाओं के गर्भ में सफल गर्भावस्था के लिए डाला जाता है। सही मात्रा में अंडों को बनाने के लिए IVF के ट्रीटमेंट के दौरान कई तरह के हॉर्मोन देने पड़ते हैं। हॉर्मोन किस तरह का होगा या कितना देना है यह महिला के AMH लेवल, उम्र, हार्मोनल प्रोफाइल और पिछले चक्रों में कैसा परिणाम रहा है इस पर निर्भर करता है। आपको बता दें कि कुल मिलाकर दो प्रकार के प्रोटोकॉल होते हैं: अंटागोनिस्ट प्रोटोकॉल या शॉर्ट प्रोटोकॉल और लॉन्ग प्रोटोकॉल।

अंटागोनिस्ट प्रोटोकॉल में मासिक धर्म के पहले या दूसरे दिन ही हार्मोनल इंजेक्शन लगाया जाता है जबकि GnRH अंटागोनिस्ट को चक्र के छठवें या सातवें दिन दिया जाता है। अंटागोनिस्ट LH लेवल को नियंत्रण में रखता है और स्वतः होने वाले ओवुलेशन को रोकता है। वहीं लॉन्ग प्रोटोकॉल की बात करें तो GnRH को मासिक धर्म के पहले दिन या 21वें दिन दिया जाता है और तब तक दिया जाता है जब तक अंडाशय दब ना जाएं। इस प्रक्रिया के बाद GnRH एनालॉग को जारी रखा जाता है साथ ही ज़रूरत के हिसाब से हॉर्मोनल इंजेक्शन भी दिए जाते हैं।

जब कम से कम 2 फॉलिकल्स 17 मिमी या उससे अधिक नाप के हो जाते हैं तब अंडाणु को परिपक्व करने के लिए ट्रिगर दिया जाता है। आमतौर पर, 34 से 36 घंटे बाद अंडाणु पुनर्प्राप्ति (एग रिट्रीवल) की जाती है। यह ट्रिगर अंटागोनिस्ट प्रोटोकॉल में HCG इंजेक्शन या GnRH इंजेक्शन के साथ किया जाता है। HCG इंजेक्शन या GnRH का मिश्रण भी दिया जा सकता है। हालाँकि GnRH लॉन्ग प्रोटोकॉल में केवल HCG ट्रिगर ही इस्तेमाल किया जाता है।

IVF ट्रीटमेंट में दिए जाने वाले इंजेक्शन के फायदे (Benefits/advantage of IVF)

IVF ट्रीटमेंट (IVF Treatment)  के दौरान लगाए जाने वाले इंजेक्शन से निम्नलिखित मदद मिलती है:

  • IVF इंजेक्शन (IVF Injections) से ज़्यादा और अच्छी गुणवत्ता वाले अंडों के विकास में मदद मिलती है जिससे गर्भधारण करने की सफलता ज़्यादा हो जाती है।
  • इंजेक्शंस की मदद से महिलाओं को सटीक समय में ओवुलेशन होता है। इस सटीकता का महत्व एग रिट्रीवल प्रक्रियाओं के सही समन्वयन के लिए है ताकि IVF के इलाज का ज़्यादा से ज़्यादा फायदा मिल सके।
  • GnRH एगोनिस्ट के इंजेक्शन भी अंडोत्सर्जन को रोकने और FET (फ्रोजन एम्ब्र्यो ट्रांसफर) के लिए गर्भाशय की परत को पतला करने के लिए दिए जाते हैं। यह कदम महत्वपूर्ण है ताकि गर्भावस्था की संभावनाओं को बढ़ाने और इम्प्लांटेशन से संबंधित संभावित समस्याओं को रोका जा सके।

IVF प्रक्रिया (IVF Process)  में दिए जाने वाले इंजेक्शन कितने लगेंगे यह हर महिला की स्थिति और उसकी ज़रूरत पर निर्भर करता है। यहाँ तक कि दवाएं कितनी और किस प्रकार की देनी है यह भी मरीज की हालत को देखकर ही डॉक्टर द्वारा बताया जाता है। डॉक्टर आपकी उम्र, वजन, ओवेरियन रिजर्व, स्टिमुलेशन में मिली पिछली सफलता, आपके PCOS प्रोफाइल या ओवेरियन के खराब परिणाम को देखते हुए आपके लिए इंजेक्शन और इलाज की योजना बनाते हैं। हर मरीज के लिए उसके हिसाब से इलाज की योजना बनाना ज़रूरी है।

IVF के दौरान कितने इंजेक्शन दिए जाते हैं (Injections during IVF):

सामान्य तौर पर हर दिन एक से दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं हालांकि यह इंजेक्शन कितने दिन लगने हैं यह मरीज़ पर निर्भर करता है। वैसे देखा जाए तो आठ से 14 दिनों तक या उससे ज़्यादा दिनों के लिए यानी ओवेरियन स्टिमुलेशन के दौरान भी यह इंजेक्शन दिए जाते हैं।

आईवीएफ इंजेक्शन के प्रकार (Types of IVF Injections during IVF):

ह्यूमन मेनोपॉज़ल गोनाडोट्रोपिन (HMG): इस दवाई में दो हॉर्मोन शामिल होते हैं, FSH और LH, जो ओवरीज़ को कई सारे अंडों को बनाने के लिए स्टिमुलेट करते हैं। यह इंजेक्शन IVF के ट्रीटमेंट के दौरान इस्तेमाल किए जाते हैं। आपको यह इंजेक्शंस अपने मासिक धर्म के शुरुआती समय में 7 से 12 दिनों के लिए लगवाने होते हैं।

फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH): HMG की तरह, FSH का इस्तेमाल भी अंडाणु के विकास को तेजी से बढ़ाने के लिए ही किया जाता है। इन इंजेक्शनों को HMG की तरह ही दिया जाता है।

ह्यूमन क्रोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG): यह हॉर्मोन फॉलिकल से अंडे निकालता है। यह आपको मासिक धर्म के दौरान एक खास समय पर ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड की मदद से दिया जाता है। आपको बता दें कि hCG वही हॉर्मोन है जो प्रेगनेंसी टेस्ट में पता चलता है।

GnRH एगोनिस्ट: यह दवाई ओवरीज़ के उत्पादन को कुछ समय के लिए कम कर देती है। यह फर्टिलिटी ट्रीटमेंट के दौरान अंडों पर सही तरीके से नियंत्रण रखने के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह चक्र के शुरू होने से पहले दिया जा सकता है। इसके साथ अंडों के उत्पादन के लिए दूसरी दवाइयां भी दी जाती हैं। इससे hCG इंजेक्शन को देने से पहले होने वाले प्रीमैच्योर ओवुलेशन को रोकने के लिए इस्तेमाल किया जाता है।

GnRH अंटागोनिस्ट: यह इंजेक्शन GnRH एगोनिस्ट के जैसा ही होता है। यह ड्रग्स LH हॉर्मोन रिलीज़ को ब्लॉक करते हैं। हालाँकि यह तुरंत काम करना शुरू कर देते हैं जिनकी वजह से इन्हे कम मात्रा में लगाया जाता है। यह इंजेक्शन भी अंडे के विकास में मदद करते हैं।

IVF इंजेक्शंस के दुष्प्रभाव (Side effects of IVF Injections):

अगर आप IVF ट्रीटमेंट के लिए जा रहे हैं तो आपके लिए यह भी जानना ज़रूरी है कि इसके कुछ दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं। आइये जानते हैं वह नुकसान कौन से हैं:

  • दर्द या इंजेक्शन से निशान: IVF के दौरान जब आपको इंजेक्शन लगते हैं उससे आपको दर्द या निशान का अनुभव करना पड़ सकता है। आपको इसका सामना कम से कम करना पड़े इसके लिए आप हर इंजेक्शन को अलग-अलग जगह लगवा सकते हैं।
  • उल्टी: कुछ लोगों को IVF के दौरान उल्टी जैसा महसूस हो सकता है और कई बार तो आप उल्टी कर भी सकती हैं। हालाँकि यह हर किसी को नहीं होता लेकिन किसी-किसी को इस समस्या का सामना करना पड़ सकता है।
  • स्तनों का मुलायम होना: IVF ट्रीटमेंट के दौरान आपके स्तन नाज़ुक और मुलायम हो सकते हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे पीरियड के पहले या दौरान हो जाते हैं।
  • पेट का फूलना: आपका पेट फूल या सूज सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि जो हॉर्मोन IVF के दौरान इस्तेमाल किए जाते हैं वह आपके मासिक धर्म के हॉर्मोन के जैसे ही होते हैं। हलाकि फर्क इतना होता है कि IVF के दौरान इनकी मात्रा ज़्यादा दी जाती है।
  • गर्मी लगना: किसी-किसी महिला को हार्मोनल मेडिकेशन की वजह से गर्मी लग सकती या पसीना भी आ सकता है।
  • मूड में बदलाव: इन दवाइयों से आपकी भावनाओं पर असर पड़ सकता है। कभी-कभी आपको चिढ़ मच सकती है, बेचैनी महसूस हो सकती है या थका हुआ महसूस हो सकता है।
  • थकान: हॉर्मोन में बदलाव की वजह से आपको लगातार थकान महसूस हो सकती है।
  • एलर्जी: ऐसे बहुत कम केस होते हैं जिनमें लोगों को इंजेक्शन की वजह से एलर्जी हो सकती है। जिसकी वजह से जिस जगह इंजेक्शन लगा है वहां खुजली या लालपन देखने को मिल सकता है।
  • हल्का श्रोणि और पेट दर्द: अंडाणु निकालने के बाद, आपको हल्का से मध्यम श्रोणि या पेट दर्द हो सकता है, जो आमतौर पर ऐंठन जैसा महसूस होता है। आमतौर पर, ओवर-द-काउंटर दर्द निवारक दवाएं मदद कर सकती हैं, और यह आमतौर पर एक या दो दिनों के अंदर ठीक हो जाता है।
  • पेल्विक इन्फेक्शन: हालाँकि ऐसा होने की संभावना कम होती है लेकिन IVF प्रक्रिया के दौरान पेल्विक इन्फेक्शन होने का थोड़ा जोखिम हो सकता है। कुछ डॉक्टर्स इसको रोकने के लिए एंटी बायोटिक भी देते हैं| 

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