IVF से संतान सुख: जानें इसके लाभ और जोखिम

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IVF एक ऐसी प्रक्रिया है जिसका सहारा आजकल के समय में कई दंपति तब लेते हैं जब उन्हें संतान उत्पन्न करने में कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। लगभग 6 में से 1 दंपति को अपने जीवनकाल में किसी न किसी रूप में प्रजनन सहायता की आवश्यकता होती है। हालांकि, IVF ही एकमात्र उपचार नहीं है। इसके अलावा, ओवुलेशन इंडक्शन और इंट्रा यूटेराइन इनसेमिनेशन (IUI) जैसे अन्य उपचार विकल्प भी हैं, लेकिन आजकल के समय में लोग आईवीएफ को ही सबसे अधिक चुनते हैं।

जीवन में संतानोत्पत्ति का विशेष महत्त्व है, फिर चाहे वह जैविक माध्यम से हो या आईवीएफ के माध्यम से। आईवीएफ प्रक्रिया बाँझपन में सहायक है, परन्तु अन्य चिकित्सीय प्रक्रियाओं की तरह, दम्पतियों को इसके लिए भी कई जटिलताओं या यूँ कहें वैज्ञानिक जांचों से गुजरना पड़ता है, जिससे कि आगे होने वाले फायदे के लिए कोई जोखिम न हो। 

यानी कि दंपति को अपनी पूर्ण संतुष्टि के लिए प्रत्येक आने वाले जोखिम और उसके निवारण के लिए किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट से संपर्क करना चाहिए, जिससे उसके सभी पहलुओं पर विचार कर आगे बढ़ा जा सके और एक सही निर्णय ले सके। मानव जीवन में किसी भी महिला के लिए गर्भधारण करना स्वाभाविक तौर पर एक हर्ष का विषय है, परन्तु आज के समय में यदि कोई महिला किन्हीं कारणों से गर्भधारण नहीं कर पाती है तो आईवीएफ प्रक्रिया एक सफल माध्यम है। इस प्रक्रिया का सफल होना और इसके माध्यम से एक स्वस्थ बच्चे का जन्म होना है।

कौन ले सकता है आईवीएफ प्रक्रिया का लाभ? 

IVF Treatment की आवश्यकता:

  • उम्रदराज दंपति
  • महिलाओं के कम अंडाणु
  • बंद गर्भ धारण करने वाली नलियाँ
  • कम स्टोरेज क्षमता
  • पुरुष बाँझपन
  • अनिर्धारित बाँझपन
  • समय से पहले अंडाशय का निर्माण नहीं होना
  • PCOS और एंडोमेट्रियोसिस

IVF के लाभ:

  • बंद नलियों वाली महिलाओं के लिए अपने अंडों के माध्यम से गर्भधारण का मौका
  • उम्रदराज दंपत्तियों में गर्भधारण की संभावनाओं में वृद्धि
  • पुरुष बाँझपन के लिए वैज्ञानिक समाधान
  • अनिर्धारित बाँझपन में सफल इलाज
  • मासिक धर्म अनियमितताओं के कारण गर्भ न धारण करने पर IVF की सफलता
  • गर्भ की परत के बढ़ने में सफलता
  • डोनर अंडों के उपयोग से सफलता के उच्च मानक

सफलता और प्रमाण (IVF Success Rate)

किसी भी चिकित्सीय सफलता का परिणाम उसके द्वारा सत्यापित सफल प्रयोग साबित करते हैं, इसी क्रम में आईवीएफ ने अपना रिकॉर्ड सुरक्षित रखा है। 1978 में सबसे पहला आईवीएफ बेबी लुईस ब्राउन को जन्म देकर इस प्रक्रिया का उपयोग सबसे सुरक्षित तरीकों में करके कई बाँझपन दंपत्तियों के जीवन में नई जेनेरेशन को आगे बढ़ाया है। इस प्रक्रिया में कम से कम दवाओं का प्रयोग भी होता है, जिससे जोखिम की संभावना भी कम होती है। आईवीएफ सबसे सफल प्रजनन विधि है, और कई बाँझपन की समस्याओं से ग्रसित दंपत्तियों को माता-पिता बनाने में सहायक साबित हुआ है।

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आईयूआई विधि (IUI Procedure)

IVF के अलावा आईयूआई विधि भी है, परन्तु यह प्रक्रिया उतनी सफल नहीं हुई जितनी की आईवीएफ। सिंगल महिलाओं या समलैंगिक जोड़ों में आईयूआई की विफलता ने आईवीएफ को अवसर दिया और यह सफल साबित हुई। आईवीएफ डोनर स्पर्म के साथ भी सफल हुआ है। निषेचन प्रक्रिया में आईवीएफ ने भी जटिल समस्याओं को हल करके अनेक मापदंड स्थापित किए हैं। आमतौर पर यह देखा गया है कि अनिर्धारित बाँझपन में निषेचन प्रक्रिया में भी आईवीएफ ने सफल प्रयोग किया है। भ्रूणों के प्रयोग के लिए या अनप्रयुक्त भ्रूणों को माता-पिता की अनुमति के साथ अन्य दंपत्तियों को दान किया जा सकता है और शोध के लिए भी इसको लाया जा सकता है। वंशानुगत बीमारियों में भ्रूणों का प्रयोग स्क्रीनिंग के लिए किया जा सकता है। 

वंशानुगत बीमारियाँ (Hereditary diseases)

सबसे विश्वसनीय तरीकों में मस्कुलर डिस्ट्राफी जैसी अनुवांशिक बीमारी के साथ आईवीएफ ने सफल प्रयोग किए हैं। प्री इम्प्लांटेशन जेनेटिक स्क्रीनिंग क्रोमोसोमल विकारों के भ्रूणों की स्क्रीनिंग कर सफलता की संभावनाओं को बढ़ा सकता है। यह दोनों प्रकार की सुविधा आईवीएफ में उपलब्ध है।

आईवीएफ से होने वाले नुकसान (IVF Risks)

जहाँ आईवीएफ एक सफल प्रक्रिया है, वहीं इसके नुकसान भी हैं, क्योंकि मरीज को कई चरणों से गुजरना पड़ता है और इस क्रम में कोई चक्र असफल भी हो सकता है। यह प्रक्रिया जोखिम भरी भी हो सकती है, इसके साइड इफेक्ट्स भी हो सकते हैं। IVF में ओवेरियन हाइपरस्टिम्यूलेशन सिंड्रोम (OHSS) का जोखिम होता है, और इसका विशेष ध्यान रखना चाहिए। लेकिन यह बात ध्यान देने योग्य है कि प्राकृतिक और हल्के IVF में यह जोखिम कम होता है। 

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संभावित जोखिम 

इस प्रक्रिया में यदि एक से अधिक भ्रूणों का प्रत्यारोपण हो गया तो जुड़वाँ होने की संभावना बढ़ जाती है। एक जोखिम और है जिसमें बाह्य गर्भधारण की संभावनाएँ हो सकती हैं। यदि एस्टेरॉजन्स की मात्रा अधिक होती है तो बच्चे के पहले जन्म की संभावना कम हो सकती है। यह मानसिक और भावनात्मक चिंता भी दे सकता है, इसके अलावा यह महंगा इलाज होता है और आर्थिक बोझ भी डाल सकता है। कुछ जगह देखा गया है कि दंपत्ति नैतिक और सामाजिक बातों को लेकर भी चिंतित रहते हैं।

IVF एक प्रभावी और उन्नत प्रजनन तकनीक है जिसने कई दंपत्तियों को संतान सुख प्रदान किया है। इसके लाभ और जोखिम दोनों ही महत्वपूर्ण हैं और इसे अपनाने से पहले सभी पहलुओं पर विचार करना आवश्यक है। दंपत्तियों को चाहिए कि वे किसी अच्छे गायनेकोलॉजिस्ट से सलाह लें और सभी संभावनाओं और जोखिमों को समझकर ही इस प्रक्रिया को अपनाएं। अगर आप भी IVF ट्रीटमेंट करवाने की योजना बना रहे हैं तो आज ही Crysta IVF के अनुभवी डॉक्टरों से 8938935353 पर संपर्क करें और मुफ्त परामर्श लें।

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